नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पर विवादित टिप्पणी करने के आरोप में गिरफ्तार हुए पत्रकार प्रशांत कनौजिया को सुप्रीम कोर्ट ने तुरंत रिहा करने का आदेश दिया है. बता दें कि प्रशांत ने सीएम योगी को बदनाम करने वाला वीडियो शेयर करने और अभद्र टिप्पणी करने का आरोप में पत्रकार प्रशांत कनौजिया को यूपी पुलिस ने गिरफ्तार कर लखनऊ ले गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को कहा है कि प्रशांत को रिहा करने में सभ्यता और उदारता दिखाएं.
यही नहीं प्रशांत की गिरफ्तारी की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि उन्हें किस आधार पर गिरफ्तार किया गया है. अदालत ने कहा कि मत भिन्न हो सकते हैं, उन्हें (प्रशांत) शायद उस ट्वीट को प्रकाशित या लिखना नहीं चाहिए था, लेकिन उन्हें किस आधार पर गिरफ्तार किया गया. कोर्ट प्रशांत कनौजिया मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि नागरिक की स्वतंत्रता उनका अधिकार है और यह नॉन नेगोशिएबल है. नागरिकों की स्वतंत्रता की गारंटी संविधान में दी गई है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता है. सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि यूपी सरकार को प्रशांत कनौजिया को रिहा करने में उदारता दिखानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि कनौजिया को तत्काल रिहा किया जाना चाहिए, लेकिन उन पर केस चलता रहेगा.
बता दें कि पिछले दिनों प्रशांत कनौजिया ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ एक महिला का वीडियो शेयर करते हुए एक व्यक्तिगत टिप्पणी भी कर दी थी जिसके बाद यूपी पुलिस हरकत में आई और शनिवार को दिल्ली से प्रशांत को उनके घर से अपने साथ ले गई.
प्रशांत की पत्नी जगीशा अरोड़ा ने सोमवार को शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाते हुए इस गिरफ्तारी को चुनौती दी थी. उन्होंने अदालत से अपनी अर्जी में कहा था कि पत्रकार पर लगाई गईं धाराएं जमानती अपराध में आती हैं. इस मामले में तुरंत सुनवाई की जरूरत है, क्योंकि प्रशांत की गिरफ्तारी अवैध और असंवैधानिक है. उन्हें कस्टडी में नहीं भेजा जा सकता.
प्रशांत कनौजिया की गिरफ्तारी को लेकर अब कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी भी उतर आए हैं. राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि अगर पत्रकार यूंही गिरफ्तार किए जाने रहे तो समाचार चैनलों और अखबार वालों को पत्रकारों की भारी कमी से जूझना होगा. राहुल ट्वीट में लिखा है कि कोई भी पत्रकार जो झूठी रिपोर्ट दर्ज करता है या मेरे खिलाफ फर्जीवाड़ा करता है, तो मेरे बारे में दुष्प्रचार करने वाले आरएसएस / भाजपा के प्रचार को जेल में डाल दिया जाता है, ज्यादातर अखबारों / समाचार चैनलों को कर्मचारियों की भारी कमी का सामना करना पड़ेगा.यूपी के सीएम मूर्खतापूर्ण व्यवहार कर रहे हैं और गिरफ्तार पत्रकारों को रिहा करने की जरूरत है.
बता दें कि पिछले तीन दिनों में यूपी पुलिस ने सीएम योगी के खिलाफ टिप्पणी करने वाले टीवी चैनल पर एक महिला का वीडियो दिखाए जाने पर एक टीवी चैनल इशिका सिंह और अनिज शुक्ला को भी गिरफ्तार किया गया. वहीं कल यूपी से तीन लोगों को और गिरफ्तार किया गया जिसमें से एक किसान और एक गांव के प्रधान भी शामिल हैं.
सपा के एमएलसी सुनील सिंह साजन ने कहा, पत्रकार प्रशांत कन्नौजिया की तुरंत रिहाई का आदेश योगी सरकार के मुंह पर करारा तमाचा है. अपनी असफलताओं को छुपाने के लिये योगी सरकार मीडिया को धमकाने, उत्पीड़न करने के तालिबानी रवैये पर उतर आई है. सुप्रीम कोर्ट को जनता का विश्वास और मजबूत करने के लिये आभार!
कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता अंशु अवस्थी ने कहा कि दिक्कत ये है बीजेपी को लोगों का विरोध बर्दाश्त नहीं है. ये अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ है. भारत में लोकतंत्र आवश्यक है. पुलिस योगी सरकार की बी टीम बनकर काम कर रही है. आज प्रशांत था. कल किसी और का नंबर भी आ सकता है. सुप्रीम कोर्ट की लताड़ से क्या कुछ सीखेगी योगी सरकार ये देखना होगा.
बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता डाॅ चंद्रमोहन ने कहा, सुप्रीट कोर्ट का फैसला सभी को स्वीकार है. कानून अपना काम कर रहा है लेकिन सीएम पर आपत्तिजनक टिप्पणी स्वीकार नहीं है. जो शब्द प्रशांत कनौजिया ने इस्तेमाल किए वह काफी खराब थे.