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Sunday, 22 December, 2024
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सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने केजरीवाल की याचिका को सूचीबद्ध करने से किया इनकार, कहा- स्वीकार्य नहीं

मंगलवार को जब दिल्ली के मुख्यमंत्री की अर्जी पर सुनवाई हुई तो न्यायाधीशों ने कहा था कि उनके अनुरोध पर निर्णय लेने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी भारत के मुख्य न्यायाधीश होंगे.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री ने बुधवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया, जिसमें उन्होंने आत्मसमर्पण के लिए और समय की मांग करते हुए अवकाश पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए उनकी अर्जी को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था.

केजरीवाल, जिन्हें 2 जून को आत्मसमर्पण करना है, ने चिकित्सकीय आधार पर अपनी अंतरिम जमानत के लिए सात दिन का विस्तार मांगा था.

रजिस्ट्री अधिकारियों ने कहा कि चूंकि शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाले केजरीवाल की याचिका पर फैसला पहले ही सुरक्षित रखा जा चुका है, इसलिए मौजूदा अर्जी का मुख्य याचिका से कोई संबंध नहीं है.

उनके अनुरोध के लिखित जवाब में अधिकारियों ने यह भी कहा कि अर्जी “स्वीकार्य” नहीं होगी, क्योंकि उन्हें नियमित जमानत के लिए ट्रायल कोर्ट जाने की स्वतंत्रता दी गई है.

मामला उस वक्त रजिस्ट्रार के सामने सूचीबद्ध होने के लिए पहुंच गया जब न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी और के. विश्वनाथन की खंडपीठ ने मंगलवार को पूछा कि केजरीवाल ने पिछले सप्ताह अपना आवेदन क्यों नहीं दाखिल किया, जबकि 10 मई को उन्हें अंतरिम जमानत देने वाले न्यायाधीशों में से एक अवकाश न्यायाधीश के रूप में अदालत में मौजूद थे. याद दिला दें कि शीर्ष अदालत में गर्मी की छुट्टियां चल रही हैं और हर दिन तीन अवकाश पीठें अदालत में बैठती हैं.

दिल्ली के मुख्यमंत्री की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत से केजरीवाल के आवेदन को सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया और कहा कि यह प्रक्रिया का दुरुपयोग नहीं है.

हालांकि, दोनों न्यायाधीशों का मानना ​​था कि उनके अनुरोध पर निर्णय लेने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) होंगे और उन्होंने मामले को उनके समक्ष रखने को प्राथमिकता दी. न्यायाधीशों ने यह भी पूछा कि जब न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता अदालत में बैठे थे, तब आवेदन क्यों नहीं पेश किया गया.

न्यायाधीशों ने सिंघवी से पूछा, “जब न्यायमूर्ति दत्ता यहां थे, तब आपने मामले का उल्लेख क्यों नहीं किया, आपने इंतजार क्यों किया.” न्यायमूर्ति दत्ता, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ का हिस्सा थे, जिन्होंने 17 मई को केजरीवाल की गिरफ्तारी को अमान्य ठहराने की याचिका पर सुनवाई की थी और फिर आदेश सुरक्षित रखा था.

10 मई को इसी पीठ ने उन्हें मौजूदा लोकसभा चुनावों में भाग लेने के लिए अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन 2 जून को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था.

अपने आवेदन में केजरीवाल ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया है कि उन्हें सात दिन बाद यानी 9 जून को आत्मसमर्पण करने की अनुमति दी जाए, ताकि वे 1 जून के बाद के कार्य सप्ताह में मेडिकल जांच करवा सकें, जो चुनावों की अंतिम तिथि भी है.

जस्टिस माहेश्वरी और विश्वनाथन ने बताया कि पीठ ने उनकी याचिका पर अपना फैसला पहले ही सुरक्षित रख लिया है.

जजों के सवाल के जवाब में सिंघवी ने स्पष्ट किया: “वह (17 मई की सुनवाई) मुख्य मामले से संबंधित है. यह केवल स्वास्थ्य जांच के लिए है और कुछ नहीं.”

इसके बाद जस्टिस माहेश्वरी ने जस्टिस विश्वनाथन से परामर्श करने के बाद पूछा. “आपने यह आवेदन पिछले सप्ताह क्यों नहीं दायर किया?” इस पर सिंघवी ने जवाब दिया कि केजरीवाल को मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन दिया ही गया था शनिवार को.

शीर्ष अदालत के समक्ष अपने आवेदन में केजरीवाल ने कहा कि गिरफ्तारी के दौरान उन्हें स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं हुई थीं. उन्होंने कहा कि उनकी हालिया जांच रिपोर्ट में रक्त में ग्लूकोज के उच्च स्तर के साथ-साथ मूत्र में कीटोन के उच्च स्तर की बात कही गई है. उन्होंने कहा कि उन्हें किडनी से संबंधित जटिलताएं हो सकती हैं और यहां तक ​​कि किडनी को नुकसान भी हो सकता है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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