नई दिल्ली: देशभर में डॉक्टरों ने प्रदर्शन के बाद अपनी सुरक्षा के आश्वासन को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों को सुरक्षा प्रदान करने वाली याचिका पर कोई भी त्वरित सुनवाई से इंकार कर दिया है. कोर्ट ने मामले को छुट्टी के बाद एक उपयुक्त बेंच के पास सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है.
वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और अस्पताल में सुरक्षाकर्मी तैनात करने की मांग की थी. कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में चल रही हड़ताल खत्म कर दी है, ऐसे में याचिका पर सुनवाई की कोई जरूरत नहीं है.
The IMA (Indian Medical Association) has filed an IA (Intervention Application) and supported the cause of the petitioner, Alakh Alok Srivastava in the case. https://t.co/En0BMO09fs
— ANI (@ANI) June 18, 2019
बता दें, देशभर के अस्पतालों में डॉक्टरों की सुरक्षा की मांग को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इससे पहले सोमवार को आलोक श्रीवास्तव ने न्यायधीश दीपक गुप्ता और न्यायधीश सूर्यकांत के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए इस पर जल्द से जल्द कोई एक्शन लेने की गुहार लगाई है. याचिकाकर्ता ने आईएमए द्वारा जारी एक शोध का हवाला देते हुए डॉक्टरों पर होने वाले हमलों के आंकडे़ं प्रस्तुत किए.
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इससे पहले बीते सोमवार को कोलकाता के राजकीय एनआरएस अस्पताल में एक 75 वर्षीय मरीज की मौत के बाद उसके परिजनों ने कथित रूप से जूनियर डॉक्टरों की पिटाई कर दी थी जिसके बाद पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों का प्रदर्शन शुरू हो गया है. वहीं डॉक्टर से हुई मारपीट की इस घटना के बाद देशभर के डॉक्टर अपनी सुरक्षा को लेकर जगह-जगह प्रदर्शन करने लगे. इस बाबत कोलकाता में बिगड़ते हालात को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर डॉक्टरों से बात करने का अनुरोध किया था. जिसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों के साथ बातचीत की. इस बैठक के एक घंटे के भीतर ही डॉक्टरों ने अपने आंदोलन के समाप्ती की घोषणा कर दी.