नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने विदर्भ हॉकी संघ की मान्यता संबंधी याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए सोमवार को कहा कि हॉकी एक ओलंपिक खेल है और मौजूदा नियमों के तहत एक राज्य से केवल एक ही संघ हो सकता है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अवकाशकालीन पीठ ने हॉकी इंडिया और भारतीय ओलंपिक संघ के सहयोगी सदस्य के रूप में मान्यता के लिए विदर्भ हॉकी संघ की याचिका को वापस लेने की अनुमति देते हुए कहा कि बंबई उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई मामला नहीं बनता है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘कुछ समय तक बहस करने के बाद, याचिकाकर्ताओं के विद्वान वकील ने विशेष अनुमति याचिका वापस लेने की मांग की और उन्हें ऐसा करने की अनुमति दी गई है।’’
बंबई उच्च न्यायालय ने 26 जून, 2024 को विदर्भ हॉकी संघ की सदस्यता रद्द करने के हॉकी इंडिया के फैसले को बरकरार रखा था। संघ ने कहा था कि वे वास्तव में 2013 तक सहयोगी सदस्य थे, लेकिन उन्हें मनमाने ढंग से हटा दिया गया।
संघ की ओर से पेश वकील ने कहा कि क्रिकेट और कबड्डी में कई सहयोगी सदस्य हैं।
इस पर पीठ ने कहा, ‘‘हॉकी एक ओलंपिक खेल है और भारतीय ओलंपिक संघ के मौजूदा नियमों के तहत, एक राज्य से केवल एक ही संघ हो सकता है।’’
न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि वकील क्रिकेट और कबड्डी का जिक्र कर रहे हैं जो ओलंपिक खेल नहीं हैं और यहां तक कि मुंबई हॉकी संघ की मान्यता भी रद्द कर दी गई, क्योंकि एक राज्य से केवल एक ही संघ हो सकता है।
पीठ ने विदर्भ हॉकी संघ से रिट याचिका दायर करने के लिए भी सवाल किया और पूछा कि वह अपनी चिंता को लेकर उच्च न्यायालय क्यों नहीं जा सकता।
संतोषजनक जवाब न मिलने पर शीर्ष अदालत याचिका खारिज करने जा रही थी, लेकिन वकील ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी।
भाषा वैभव सुरेश
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