नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने केन्द्र की सेन्ट्रल विस्टा परियोजना के खिलाफ दायर याचिका पर बृहस्पतिवार को विचार करने से इंकार कर दिया. राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक तीन किलोमीटर के दायरे में फैली इस परियोजना में संसद भवन की नयी इमारत का निर्माण शामिल है.
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति अनिरूद्ध बोस की पीठ इस दलील से सहमत नहीं थी कि लुटियंस की दिल्ली में इस परियोजना पर रोक लगाने की आवश्यकता है क्योंकि सरकारी संस्थाओं को अभी इस परियोजना के लिये मंजूरी लेने के अलावा अनेक औपचारिकतायें पूरी करनी बाकी है.
पीठ ने कहा, ‘कोविड-19 के दौरान कोई कुछ नहीं करने जा रहा है.’
केन्द्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि संसद की नयी इमारत का निर्माण हो रहा है और समझ में नहीं आता कि किसी को इस पर आपत्ति क्यों होनी चाहिए.
पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता शिखिल सूरी इस याचिका को वापस लेने और उस याचिका में संशोधन करने की छूट चाहते हैं जो उच्च न्यायालय से इस न्यायालय में स्थानांतरित की जा चुकी है. अनुरोध स्वीकार किया जाता है. तदानुसार, याचिका वापस ली हुयी मानते हुये इस छूट के साथ खारिज की जाती है.’
इसी परियोजना से सबंधित एक अन्य याचिका भी शीर्ष अदालत में लंबित है जिसे इसी याचिकाकर्ता ने दायर किया है.
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इससे पहले, दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की गयी थी जिसने कहा था कि सेन्ट्रल विस्टा परियोजना की अनुमति देने के लिये मास्टर प्लान में परिवर्तन अधिसूचित करने से पहले दिल्ली विकास प्राधिकरण को उसे अवगत कराने की आवश्यकता नहीं है.
नये संसद भवन के अलावा अनेक सरकारी भवन भी इस परियोजना का हिस्सा हैं.
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने डीडीए और केन्द्र की अपील पर 28 फरवरी को एकल न्यायाधीश के 11 फरवरी के उस आदेश पर रोक लगा दी थी जिसमें कहा गया था कि दिल्ली विकास प्राधिकरण को मास्टर प्लान में किसी तरह के बदलाव को अधिसूचित करने से पहले अदालत के पास जाना चाहिए.
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राजीव सूरी और सेवानिवृत्त ले. कर्नल अनुज श्रीवास्तव को नोटिस जारी किये थे. इन्हीं की याचिका पर एकल न्यायाधीश ने 11 फरवरी को आदेश दिया था. खडंपीठ ने केन्द्र ओर डीडीए की अपील छह मई को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दी थी.
सूरी और श्रीवास्तव ने एकल न्यायाधीश के समक्ष सेन्ट्रल विस्टा परियोजना का विरोध करते हुये कहा था कि नये संसद भवन और सरकारी इमारतों के निर्माण के लिये राजपथ और विजय चौक से सटी इमारतों के पास हरित क्षेत्र की भूमि के उपयोग में बदलाव किया जायेगा.