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Monday, 25 November, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर लगाई रोक, बोली- अगर मामला दर्ज हो तो अदालत का दरवाजा खटखटाएं

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आईपीसी की धारा 124ए के प्रावधानों पर फिर से विचार करने का आदेश दिया है जो राजद्रोह के अपराध को अपराध बनाती है.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह कानून पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से आईपीसी की धारा 124ए के तहत कोई भी प्राथमिकी दर्ज न करने की बात कही है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आईपीसी की धारा 124ए के प्रावधानों पर फिर से विचार करने का आदेश दिया है जो राजद्रोह के अपराध को अपराध बनाती है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि जब तक दोबारा परीक्षा की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, तब तक 124ए के तहत कोई मामला दर्ज नहीं होगा.

सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर राजद्रोह के मामले दर्ज किए जाते हैं, अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए स्वतंत्र हैं और अदालत इसका तेजी से निपटान करेगा.

राजद्रोह संबंधी FIR की निगरानी की जिम्मेदारी SP रैंक के अधिकारी को 

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को कहा कि पुलिस अधीक्षक (एसपी) रैंक के अधिकारी को राजद्रोह के आरोप में दर्ज प्राथमिकियों की निगरानी करने की जिम्मेदारी दी जा सकती है.

केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की एक पीठ को बताया कि राजद्रोह के आरोप में प्राथमिकी दर्ज करना बंद नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह प्रावधान एक संज्ञेय अपराध से संबंधित है और 1962 में एक संविधान पीठ ने इसे बरकरार रखा था.

केंद्र ने राजद्रोह के लंबित मामलों के संबंध में न्यायालय को सुझाव दिया कि इस प्रकार के मामलों में जमानत याचिकाओं पर शीघ्रता से सुनवाई की जा सकती है, क्योंकि सरकार हर मामले की गंभीरता से अवगत नहीं हैं और ये आतंकवाद, धन शोधन जैसे पहलुओं से जुड़े हो सकते हैं.

विधि अधिकारी ने कहा, ‘अंतत: लंबित मामले न्यायिक मंच के समक्ष हैं और हमें अदालतों पर भरोसा करने की जरूरत है.’

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र से कहा था कि राजद्रोह के संबंध में औपनिवेशिक युग के कानून पर किसी उपयुक्त मंच द्वारा पुनर्विचार किए जाने तक नागरिकों के हितों की सुरक्षा के मुद्दे पर 24 घंटे के भीतर वह अपने विचार स्पष्ट करे.


 

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