नई दिल्ली: असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एनआरसी) को अपने मुकाम तक पहुंचाने वाले चर्चित आईएएस प्रतीक हजेला को सुप्रीम कोर्ट ने जान के खतरे के अंदेशे के मद्देनज़र मध्यप्रदेश ट्रांसफर करने का फैसला लिया है. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि उनके ट्रांसफर का एक हफ्ते के अंदर नोटिफिकेशन जारी किया जाए. हजेला को डेपुटेशन (प्रतिनियुक्ति) पर मध्यप्रदेश भेजा जा रहा है.
असम में एनआरसी लागू करने वालें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई
असम में एनआरसी लागू करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने वालों में से एक प्रतीक हजेला भी है. एनआरसी के संयोजक के तौर पर प्रतीक हजेला के पास 3.3 करोड़ लोगों के 6.6 करोड़ दस्तावेज की छानबीन की जिम्मेदारी थी. यह सभी कागज असम में रहने वालों नागरिकों ने इसलिए लगाए थे ताकि वे यह साबित कर सके कि वह 24 मार्च 1971 के पहले से भारत में रह रहे हैं.
गौरतलब है कि एनआरसी की आखिरी सूची में से 19 लाख 6 हजार 657 लोगों को बाहर कर दिया गया है. इस सूची में जिन लोगों के नाम नहीं है उनके पास नागरिकता बताने के लिए 120 दिन का समय है. ऐसे लोग विदेशी ट्रिब्यूनल में अपील कर सकेंगे.
असम मेघालय कैडर के आईएएस अफसर हजेला की जुलाई 1996 में पहली बार असिस्टेंट कमिश्नर के तौरपर असम के सिलचर में नियुक्ति हुई. प्रतीक हजेला 1995 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. मूलत: मध्यप्रदेश के भोपाल के रहने वाले है. हजेला के पिता एसपी हजेला मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग के अफसर रहे है. आईएएस हजेला असम—मेघालय कैडर के अधिकारी है. उन्होंने दिल्ली से 1992 में इलेक्ट्रानिक्स में बीटेक किया है. गौरतलब है, कि सितंबर 2013 में कांग्रेस सरकार की सिफारिशों पर राज्य समन्वयक के रूप में हजेला को नियुक्त किया गया था.
2013 में कांग्रेस सरकार ने हजेला को कमिश्नर बनाया और फिर वे असम के गृह और राजनीतिक विभाग के सचिव भी बनाए गए. इसके बाद से एनआरसी को अपडेट करने की प्रक्रिया में रजिस्ट्रार जनरल आफ इंडिया के तहत राज्य संयोजक की भूमिका भी नोडल अधिकारी सौपी गई.