scorecardresearch
Friday, 20 December, 2024
होमदेशSC का फैसला- आपसी सहमति हो तो 6 महीने का इंतजार किए बिना भी मिल सकता है तलाक

SC का फैसला- आपसी सहमति हो तो 6 महीने का इंतजार किए बिना भी मिल सकता है तलाक

पीठ ने कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उसे मिली विशेष शक्ति का इस्तेमाल कर सकती है और आपसी सहमति से तलाक के लिए 6 महीने की अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि की शर्तें खत्म कर सकती है. 

Text Size:

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ ने सोमवार को कहा कि विवाह संबंध में दोबारा सुधार न होने की स्थिति में शादी को खत्म कर सकता है, तुरंत तलाक मिल सकता है.

जस्टिस संजय किशन कौल, संजीव खन्ना, अभय एस ओका, विक्रम नाथ और जेके माहेश्वरी की संविधान पीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम के तहत निर्धारित 6 महीने की अवधि को खत्म किया जा सकता है. पीठ ने कहा कि वह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत उसे मिली विशेष शक्ति का इस्तेमाल कर सकती है और आपसी सहमति से तलाक के लिए 6 महीने की अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि की शर्तें खत्म कर सकती है.

अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को ऐसे डिक्री और आदेश पारित करने का अधिकार देता है जो उसके समक्ष लंबित किसी भी मामले में ‘पूर्ण न्याय करने’ के लिए जरूरी हो.

इसने कहा, ‘रिश्ते में सुधार न होने के आधार पर अदालत शादी के संबंध को खत्म कर सकती है. हमने ऐसे फैक्टर्स भी तय किए हैं जिससे यह निर्धारित हो सके कि विवाह के रिश्ते में सुधार न हो तो इसे खत्म कर दिया जाए.’

शीर्ष अदालत का यह आदेश एक ऐसे मामले में आया है कि क्या वह संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करके विवाह के संबंध में सुधार न होने की स्थिति में तलाक का आदेश दे सकती है.

शीर्ष अदालत पूर्ण शक्ति का इस्तेमाल कर विवाह संबंध को खत्म कर सके, इसको लेकर कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थीं, जिसमें संबंधित पक्षों की आपसी सहमति से हिंदू मैरिज एक्ट की धारा 13-बी के तहत प्रतीक्षा अवधि पूरा किए बिना, इसे फेमली कोर्ट में भेजे बिना समाप्त किया जा सके.

इस मामले को 29 जून, 2016 को एक खंडपीठ ने पांच-न्यायाधीशों की पीठ को भेजा था.


यह भी पढ़ें : रूस से सस्ते तेल की सप्लाई खतरे में पड़ सकती है क्योंकि भारत भुगतान करने के विकल्पों को तलाश रहा है


 

share & View comments