नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने विकास दुबे और उसके साथियों के एनकाउंटर मामले में सोमवार को सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने पैरोल पर उसे जमानत देने पर हैरानी जताई है. मुख्य न्ययाधीश एसए बोबडे ने इसे यूपी प्रशासन की नाकामी कहा है. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि एक अपराधी के खिलाफ इतने मामले दर्ज होने के बावजूद उसे जमानत मिलने से वह ‘स्तब्ध’ है.
प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें दुबे और उसके कथित सहयोगियों की मुठभेड़ों की अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध किया गया है.
शीर्ष अदालत ने यूपी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि एक राज्य के तौर पर आपको विधि का शासन बनाए रखना होगा.
#विकास_दुबे और उसके साथियों के एनकाउंटर पर जनहित याचिका: उत्तर प्रदेश सरकार ने सहमति जताई और सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वो विकास दुबे एनकाउंटर मामले की जांच के लिए एक समिति का पुनर्गठन करने के लिए तैयार है।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 20, 2020
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से सालिसटीर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर आवश्यक निर्देश प्राप्त करने और उससे न्यायालय को अवगत कराने के लिये कुछ वक्त चाहिए.
पीठ ने कहा, ‘हम इस बात से चकित हैं कि विकास दुबे जैसे शातिर व्यक्ति को इतने सारे मामलों के बावजूद जमानत मिल गई.’
पीठ ने कहा, ‘यह संस्थान की विफलता है कि जिस व्यक्ति को जेल की सलाखों के पीछे होना चाहिए, उसे जमानत मिली.’
वहीं अदालत निगरानी की जांच की मांग करने वाली पीआईएल पर कहा, यहां मारे गए और हैदराबाद में जहां बलात्कारियों के पास कोई हथियार नहीं था दोनों मौतों में अंतर है. राज्य सरकार के रूप में आप (यूपी) शासन बनाए रखने के लिए जिम्मेदार हैं.
उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश सरकार से जांच समिति में शीर्ष अदालत के एक पूर्व न्यायाधीश और एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी को शामिल करने पर विचार करने को कहा. शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी मौजूदा न्यायाधीश को जांच समिति का हिस्सा बनने के लिए उपलब्ध नहीं करा सकते.
उत्तर प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि वह जांच समिति द्वारा सुझाए गए बदलावों के संबंध में अधिसूचना का मसौदा 22 जुलाई को पेश कर देगी.
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री कुछ बयान देते हैं और फिर किसी बात का पालन किया जाता है तो आपको इस पर गौर करना होगा.
कानपुर के चौबेपुर इलाके के बिकरू गांव में तीन जुलाई की मध्यरात्रि दुबे को गिरफ्तार करने गई पुलिस की टीम पर घात लगाकर हमला कर दिया गया था जिसमें डीएसपी देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी.
पुलिस के मुताबिक दुबे की 10 जुलाई की सुबह हुई मुठभेड़ में मौत हो गई थी जब उसे उज्जैन से कानपुर ले जा रहा पुलिस वाहन भौती इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और उसने मौके से भागने की कोशिश की थी.
मुठभेड़ में दुबे के मारे जाने से पहले उसके सभी पांच कथित सहयोगियों को अलग-अलग मुठभेड़ में मार गिराया गया था.
(भाषा के इनपुट्स के साथ)