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Monday, 6 May, 2024
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वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने वाली याचिका पर तत्काल सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले की तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि ये मुद्दे न्यायपालिका के दायरे में नहीं आते हैं.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वायु प्रदूषण को रोकने के लिए लगाई याचिका पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है. दिल्ली-एनसीआर में बिगड़ते प्रदूषण के उपायों और पराली जलाने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी.

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने मामले की तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि, ‘ये मुद्दे न्यायपालिका के दायरे में नहीं आते हैं.’ पीठ ने कहा, ‘क्या प्रतिबंध से इसमें मदद मिलेगी? अदालतें कुछ मामलों पर गौर कर सकती है, लेकिन कुछ पर नहीं. क्योंकि वह न्यायिक रूप से उत्तरदायी नहीं है.’

पीठ की टिप्पणी तब आई जब अधिवक्ता शशांक शेखर ने तत्काल सुनवाई के लिए कोर्ट में याचिका दायर की थी. इससे पहले कोर्ट की दूसरी पीठ ने सुनवाई की तारीख 10 नवंबर तय की थी.

याचिका में दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के मुख्य सचिवों को तलब करने की बात की गई है. इसके साथ ही पराली जलाने के किसी भी मामले की व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदारी लेने का निर्देश देने की मांग की गई है.

कोर्ट में दायर की गई याचिका में पराली जलाने के संबंध में सभी राज्यों को नए दिशा-निर्देश जारी करने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है. याचिका में प्रत्येक राज्य प्रदूषण को कम करने के लिए आवश्यक उपाय करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने के लिए कहा गया है. इसके तहत राज्यों को स्मॉग टावरों की स्थापना, वृक्षारोपण अभियान, किफायती सार्वजनिक परिवहन को शामिल करने की बात की गई है.

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प्रदूषित हवा में लोग सांस लेने को मजबूर

याचिका में कहा गया है, ‘बड़े पैमाने पर जनता प्रदूषित हवा और स्मॉग से भरी ऑक्सीजन में सांस लेने के लिए मजबूर है। न्यायालय के स्पष्ट आदेश के बावजूद कि पराली जलाने और वायु प्रदूषण पैदा करने वाले निर्माण से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और अन्य स्थानों पर बड़े पैमाने पर प्रदूषण हो रहा है. इससे लोगों को जीवित रहना मुश्किल हो रहा है.’

याचिका में कहा गया है कि 3 नवंबर को एक्यूआई का स्तर दिल्ली भर में 440 से 460 के बीच रहा है. यह न सिर्फ स्वस्थ लोगों को प्रभावित करता है बल्कि गंभीर बीमारियों से प्रभावित व्यक्तियों के लिए गंभीर रूप से प्रभावित करता है.

इसमें कहा गया कि 400 या उससे अधिक एक्यूआई ‘गंभीर’ माना जाता है और यह स्वस्थ लोगों और पहले से ही बीमार लोगों दोनों को प्रभावित कर सकता है.

याचिका में पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई है. कोर्ट से आग्रह किया गया था कि लोगों के जीवन की रक्षा के लिए स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी कार्यालयों आदि को वर्चुअल/ऑनलाइन किया जाए.

याचिका में आगे आग्रह किया गया कि बड़े पैमाने पर लोगों के जीवन की रक्षा के लिए स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी और निजी कार्यालयों आदि को वर्चुअल/ऑनलाइन किया जाए.

अधिवक्ता ने कहा कि प्रदूषण इसलिए होता है, ‘क्योंकि पंजाब जैसे राज्य किसानों को पराली जलाने से रोकने में विफल रहें. यह प्रदूषण को कम करने का एकमात्र विकल्प है.’


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