नयी दिल्ली, पांच मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने प्रयागराज में उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन किये बिना मकानों को ध्वस्त करने को लेकर बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार से नाखुशी जताई और कहा कि यह कार्रवाई ‘‘चौंकाने वाला और गलत संदेश’’ देती है।
न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मकान गिराने के ‘मनमानेपूर्ण’ मामले पर आपत्ति जताई और कहा कि ध्वस्त किए गए ढांचों का पुनर्निर्माण करना होगा।
पीठ ने कहा, ‘‘ प्रथम दृष्टया, यह कार्रवाई चौंकाने वाली और गलत संदेश भेजती है। यह ऐसी चीज है जिसे ठीक करने की जरूरत है। आप मकानों को ध्वस्त करने जैसी कठोर कार्रवाई कर रहे हैं… हम जानते हैं कि इस तरह के अति तकनीकी तर्कों से कैसे निपटना है। आखिरकार अनुच्छेद 21 और आश्रय का अधिकार जैसी कोई चीज है।’’
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणि ने राज्य सरकार की कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि याचिकाकर्ताओं को विध्वंस नोटिस का जवाब देने के लिए उचित समय दिया गया था।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि राज्य सरकार ने यह सोचकर मकान गिरा दिये कि जमीन गैंगस्टर अतीक अहमद की है जो 2023 में मारा गया था।
उच्चतम न्यायालय अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और अन्य लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिनके घर ध्वस्त कर दिए गए थे।
भाषा
राजकुमार वैभव
वैभव
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