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Friday, 15 November, 2024
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सुप्रीम कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर गुजरात सरकार को भेजा नोटिस

सीतलवाड़ और श्रीकुमार ने अहमदाबाद सेशंस कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद हाई कोर्ट का रुख किया था.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गुजरात सरकार को तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका के संबंध में नोटिस जारी किया है जिसमें उनकी तरफ से अंतरिम जमानत की मांग की गई है. सीतलवाड़ को 2002 के गुजरात दंगे मामले में दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ कर कथित तौर पर निर्दोष लोगों को फंसाने का आरोप है.

जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने गुजरात सरकार से इस पर जवाब मांगा है और अगली सुनवाई 25 अगस्त को तय की गई है.

आदेश में अदालत की बेंच ने कहा, ‘हमने नोटिस जारी किया है. गुरुवार को इस पर सुनवाई होगी और तभी इस पर आगे आदेश दिया जाएगा.’

गुजरात हाई कोर्ट के 3 अगस्त के आदेश के खिलाफ सीतलवाड़ ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में एसआईटी को नोटिस जारी किया था और सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व डीजीपी आरबी श्रीकुमार की जमानत याचिका पर जवाब मांगा था और अदालत ने इस मामले की सुनवाई 19 सितंबर को तय की थी.

सीतलवाड़ और श्रीकुमार ने अहमदाबाद सेशंस कोर्ट से जमानत याचिका खारिज होने के बाद हाई कोर्ट का रुख किया था.

30 जुलाई को अहमदाबाद की अदालत ने दोनों की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि दोनों ही आरोपी गुजरात सरकार को ‘अस्थिर’ करने का लक्ष्य रखते थे.

दोनों को अहमदाबाद पुलिस क्राइम ब्रांच ने 25 जून को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी एक एफआईआर के आधार पर हुई थी जिसमें आईपीसी की धारा 468, 194 के तहत मामला दर्ज किया गया था.

इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया. आरोप है कि सीतलवाड़ और श्रीकुमार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार को गिराने के लिए कांग्रेस नेता अहमद पटेल के कहने पर एक बड़ी साजिश का हिस्सा थे.

पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट भी इस मामले में आरोपी है.

सीतलवाड़, श्रीकुमार और भट्ट के खिलाफ एफआईआर तब दर्ज किया गया जब सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून को पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें 2002 के दंगे मामले में एसआईटी की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य लोगों को क्लीन चिट दी गई थी.

जाफरी ने आरोप लगाया था कि गोधरा की घटना के बाद हुए दंगे एक ‘बड़ी साजिश’ का हिस्सा थे.

हालांकि एसआईटी ने शीर्ष अदालत में जाफरी की याचिका का ये कहते हुए विरोध किया कि उनकी याचिका तीस्ता सीतलवाड़ के निर्देशों के बाद दायर की गई थी.


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