नयी दिल्ली, 30 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पूर्व रणजी ट्रॉफी क्रिकेटर संतोष करुणाकरण पर केरल क्रिकेट एसोसिएशन (केसीए) द्वारा लगाए गए आजीवन प्रतिबंध को रद्द कर दिया और उनके मामले की नए सिरे से सुनवाई का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय के 2021 के आदेश को रद्द कर दिया, जिसने करुणाकरण की याचिका को खारिज कर दिया था और केसीए द्वारा उन्हें कालीसूची में डालने के फैसले को बरकरार रखा था।
पीठ ने कहा, ’21 जून, 2021 के आदेश और 22 अगस्त, 2021 के काली सूची में डालने के आदेश पर गौर करने के बाद, हमारा मानना है कि उच्च न्यायालय ने याचिका और अपीलकर्ता द्वारा प्रस्तुत अपील को तथ्यों को छिपाने के कथित आधार पर खारिज करते हुए बहुत कठोर रुख अपनाया और निष्कर्ष निकाला कि अपीलकर्ता पाक साफ नहीं है।’’
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि करुणाकरण ने उचित दलील दी है कि लोकपाल के समक्ष कार्यवाही अपारदर्शी थी तथा संबंधित अभिलेखों/आदेशों की प्रतियां उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई थीं।
तिरुवनंतपुरम जिला क्रिकेट संघ के भी सदस्य करुणाकरण ने 2019 में लोकपाल-सह-नैतिकता अधिकारी से संपर्क किया था ताकि लोढ़ा समिति द्वारा अनुशंसित और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) द्वारा अपनाए गए मॉडल उपनियम के संदर्भ में राज्य के सभी जिलों में लागू किए जाने वाले एक मॉडल उपनियम को तैयार किया जा सके।
लोकपाल ने अक्टूबर 2020 में उनकी याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें बार-बार निर्देश देने के बावजूद जिला क्रिकेट संघों को मामले में पक्षकार के रूप में शामिल करने में उनकी विफलता का हवाला दिया गया था।
करुणाकरण ने केरल उच्च न्यायालय में लोकपाल के निर्णय पर ऐतराज जताते हुए दलील दी कि लोकपाल की कार्यवाही में पारदर्शिता का अभाव है तथा उन्हें उन विशिष्ट निर्देशों के बारे में कभी सूचित नहीं किया गया।
केरल उच्च न्यायालय, एकल न्यायाधीश और खंडपीठ, दोनों ने उनकी याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उन्होंने महत्वपूर्ण तथ्यों को छुपाया।
अपील की अस्वीकृति के बाद, केरल क्रिकेट एसोसिएशन ने केसीए के उपनियमों की धारा 15(4)(एस) के तहत क्रिकेटर को कारण बताओ नोटिस जारी किया और अगस्त 2021 में करुणाकरण को सभी गतिविधियों से काली सूची में डालते हुए आजीवन प्रतिबंध लगा दिया।
भाषा आशीष पवनेश
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