नई दिल्लीः सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि महाराष्ट्र सरकार डांस बार को विनियमित करने के नाम पर उन पर प्रतिबंध नहीं लगा सकती. न्यायमूर्ति एके सीकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की एक पीठ ने कहा, ‘2005 से आज की तारीख तक, कोई भी लाइसेंस जारी नहीं किया गया है. नियम हो सकते हैं लेकिन उनके नाम पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता.’
फैसला सुनाते हुए, न्यायमूर्ति सीकरी ने कहा कि डांस स्टेज और पीने व खाने के लिए अलग-अलग जगह नहीं हो सकते. इसके साथ ही उन्होंने सीसीटीवी कैमरा ‘आवश्यक’ रूप से लगाने के भी प्रावधान को निजता का उल्लंघन करार देते हुए खारिज कर दिया.
अदालत ने राज्य के कानून के हिसाब से दी गई अश्लीलता की परिभाषा को बरकरार रखते हुए कहा कि यह अस्पष्ट नहीं है. अदालत ने कहा कि डांस बार जाने वाले लोग टिप्स दे सकते हैं लेकिन डांस के दौरान पैसे नहीं उछाल सकते.
अदालत ने इसके साथ ही इस प्रावधान को तर्कसंगत नहीं माना कि डांस बार को धार्मिक स्थानों, अस्पतालों और शैक्षणिक संस्थानों के एक किलोमीटर के दायरे से बाहर होना चाहिए.
पीठ ने हालांकि इस मुद्दे पर फैसला राज्य प्रशासन पर छोड़ दिया. अदालत ने इस प्रावधान को भी हटा दिया कि डांस बार के मालिक का ‘अच्छा चरित्र (कैरेक्टर)’ होना चाहिए और कोई ‘आपराधिक इतिहास (एंटीसिडेंट्स)’ नहीं होना चाहिए.
अदालत ने कहा, “इस बात कि कोई सटीक परिभाषा नहीं है कि किसे अच्छा चरित्र और आपराधिक इतिहास माना जाए.