नयी दिल्ली, 29 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश के खिलाफ याचिका दायर कर ‘‘अपमानजनक आरोप’’ लगाने पर एक याचिकाकर्ता और उसके वकीलों को मंगलवार को अवमानना का नोटिस जारी किया।
उच्चतम न्यायालय ने याचिकाकर्ता और उसके वकीलों को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए उन्हें याचिका वापस लेने की अनुमति देने से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने कहा, ‘‘हम यह होने नहीं दे सकते कि कोई भी न्यायाधीशों पर निशाना साधा और कोई भी वादी न्यायाधीश पर इस प्रकार के आरोप लगाए। यहां हम वकीलों की रक्षा करने की कोशिश कर रहे थे।’’
प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की अगुवाई वाली पीठ याचिकाकर्ता एन पेड्डी राजू द्वारा दायर स्थानांतरण याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे अभिलेख अधिवक्ता (एओआर) रितेश पाटिल ने पेश किया था।
यह याचिका उस मामले से संबंधित है जिसमें तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत उच्च न्यायालय से राहत मिली थी।
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कानूनी सलाह देने के लिए वकीलों को समन भेजने से संबंधित स्वतः संज्ञान के अन्य मामले में पहले सुनवाई कर चुकी पीठ ने कहा, ‘‘यहां हम वकीलों की रक्षा करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन इस तरह का आचरण बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘तेलंगाना उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश के खिलाफ अपमानजनक आरोप लगाए गए हैं। (एक फैसले में) यह माना गया है कि न केवल एक वादी, बल्कि (याचिका पर) हस्ताक्षर करने वाला वकील भी न्यायालय की अवमानना का दोषी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम पेड्डी राजू के साथ-साथ वकीलों… और एओआर को नोटिस जारी करते हैं। उन्हें यह बताने का निर्देश दिया जाता है कि उनके खिलाफ अवमानना का मुकदमा क्यों न चलाया जाए। नोटिस पर 11 अगस्त तक जवाब दाखिल करिए।’’
उच्चतम न्यायालय द्वारा कड़ी नाराजगी व्यक्त करने के बाद एक वकील ने टिप्पणी वापस लेने की अनुमति मांगी। हालांकि, पीठ ने अनुरोध खारिज कर दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘माफीनामा दाखिल करें… हम देखेंगे कि इस पर विचार करना है या नहीं। हम देखेंगे कि माफीनामा उचित है या नहीं। जब हमने भाषा पर नाराजगी व्यक्त की, तब जाकर वापस (टिप्पणी को) लेने की अनुमति मांगी। हमने अनुरोध खारिज कर दिया है।’’
यह मामला तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा मुख्यमंत्री के खिलाफ एससी/एसटी अधिनियम के तहत दर्ज एक आपराधिक मामले को रद्द करने के फैसले से जुड़ा है।
याचिकाकर्ता ने बाद में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पर पक्षपात और अनुचित व्यवहार करने का आरोप लगाया और स्थानांतरण याचिका दायर करते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया था।
मामले में मुख्यमंत्री की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा पेश हुए।
भाषा खारी गोला
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