नई दिल्ली: अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगले तीन दिनों में बाकी सबमिशन भी लिखित रूप में किए जा सकते हैं. बता दें कि चालीस दिनों तक चली जबरदस्त बहस के बीच पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने राम जन्म भूमि विवाद की सुनवाई सुनी गई. हिंदु महासभा के वकील वरुण सिन्हा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने आदेश को सुरक्षित रख लिया है और कहा है कि इस पूरे मामले में 23 दिनों में स्पष्ट निर्णय आएगा.
आज सुनवाई शुरू होते ही मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने साफ कर दिया था कि आज शाम को पांच बजे मामले में अंतिम सुनवाई होगी. हालांकि सुनवाई एक घंटे पहले चार बजे ही खत्म हो गई. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा था, ‘बहुत हो गया. अयोध्या मामले में दोनों पक्ष आज शाम पांच बजे तक बहस पूरी कर लें.
दस्तावेज़ को टुकड़े-टुकड़े कर फाड़ दिया
बता दें कि अयोध्या विवाद मामले की अंतिम सुनवाई के दौरान बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम पक्ष द्वारा हिंदू पक्ष की तरफ से जमा नक्शे और दस्तावेज के टुकड़े-टुकड़े फाड़ दिए जाने की वजह से माहौल गरम रहा. यह पांच न्यायाधीशों की पीठ के सामने किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई कर रहे थे. इस पर न्यायमूर्ति गोगोई ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने देखा कि मामले में शामिल पक्ष एक ऐसा माहौल पैदा कर रहा है, जो सुनवाई के अनुकूल नहीं है.
उन्होंने कहा, ‘हम सुनवाई को इस तरह से जारी नहीं रख सकते. लोग खड़े हो रहे हैं और बिना बारी के बोल रहे हैं. हम भी अभी खड़े हो सकते हैं और मामले की कार्यवाही को खत्म कर सकते हैं.’
सुनवाई के 40वें दिन अखिल भारतीय हिंदू महासभा की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने एक किताब व कुछ दस्तावेज के साथ विवादित भगवान राम के जन्म स्थान की पहचान करते हुए एक पिक्टोरियल जमा किया.
मुस्लिम पक्ष की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने दस्तावेज के रिकॉर्ड में नहीं होने की बात कहते हुए आपत्ति जताई.
अदालत में दस्तावेज को फाड़ने की पांच न्यायाधीशों की पीठ से अनुमति मांगते हुए धवन ने कहा, ‘क्या, मुझे इस दस्तावेज को फाड़ने की अनुमति है.यह सुप्रीम कोर्ट कोई मजाक नहीं और इसके बाद उन्होंने दस्तावेज के टुकड़े-टुकड़े कर दिए.’
धवन ने सिंह द्वारा मामले से जुड़ी एक किताब जमा करने के प्रयास पर भी आपत्ति जताई. उन्होंने इसे प्रस्तुत करने पर तेज आवाज में आपत्ति जताई और इसका विरोध किया. अदालत ने धवन की आपत्तियों को दर्ज किया.
सिंह ने जोर दिया कि सीता रसोई व सीता कूप के पिक्टोरियल नक्शे से जगह की पहचान होती है, जो कि भगवान राम की जन्मभूमि है.
प्रधान न्यायाधीश गोगोई ने पाया कि यह सुनवाई के अनुकूल वातावरण नहीं है, खास तौर से मुस्लिम पक्ष का व्यवहार.
अदालत के भीतर मामलों की स्थिति पर अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘जहां तक हम समझते हैं, बहस खत्म हो गई है.’
सुप्रीम कोर्ट 2010 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच अयोध्या में 2.77 एकड़ विवादित भूमि के बराबर विभाजन का आदेश दिया गया था. 16 वीं शताब्दी के बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को ध्वस्त कर दिया गया था.