नई दिल्ली: एनडीटीवी लिमिटेड को राहत देते हुए उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को आयकर विभाग की तरफ से भेजे गए उस नोटिस को खारिज कर दिया जिसमें वित्त वर्ष 2007-08 के लिये इस मीडिया घराने की आय के पुनर्आकलन की बात कही गई थी.
एनडीटीवी की ख़बर के मुताबिक सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि इस केस में एनडीटीवी पर 2007 में अपने गैर-समाचार कारोबार के लिए विदेशी निवेश जुटाने के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप बेबुनियाद था.
सुप्रीम कोर्ट ने रेवेन्यू डिपार्टमेंट को उस असेसमेंट को फिर से खोलने की इजाज़त देने से इनकार कर दिया है, जिस पर बरसों पहले फ़ैसला हो चुका था. वह लिखता है कि सुप्रीम कोर्ट ने साबित किया कि क़ानून की जीत होती है.
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 10 अगस्त 2017 के उस आदेश को दरकिनार कर दिया जिसमें उसने आयकर विभाग के नोटिस के खिलाफ एनडीटीवी लिमिटेड की याचिका को खारिज कर दिया था.
न्यायालय ने एनडीटीवी के आयकर निर्धारण का मामला दोबारा खोलने के लिये जारी नोटिस रद्द कर दिया और कहा कि इस मामले को चार साल बाद खोले जाने के बारे में विभाग द्वारा सारे तथ्यों का खुलासा नहीं किया गया है इसलिये इसे खारिज किया जाता है.
आयकर विभाग ने मीडिया घराने को मार्च 2015 में पुनर्आकलन के लिये नोटिस भेजा था. विभाग ने यह पाया था कि वित्त वर्ष 2007-08 में कथित रूप से 642 करोड़ रुपये का आकलन एनडीटीवी के लिये कर निर्धारण में नहीं किया गया था.