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रविवार, 11 मई, 2025
होमदेशशीर्ष अदालत ने राजीव गांधी की हत्या के दोषी पेरारिवलन की जमानत मंजूर की

शीर्ष अदालत ने राजीव गांधी की हत्या के दोषी पेरारिवलन की जमानत मंजूर की

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नयी दिल्ली, नौ मार्च (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने 30 साल लंबी जेल की सजा काटने और पैरोल के दौरान किसी तरह की शिकायत नहीं मिलने के आधार पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे ए. जी. पेरारिवलन की जमानत बुधवार को मंजूर कर ली। वह राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने उन दलीलों का संज्ञान लिया, जिसमें कहा गया है कि दोषी पेरारिवलन 30 साल तक जेल में रहा है और उसका व्यवहार संतोषजनक रहा है, चाहे वह जेल के भीतर हो या पैरोल की अवधि के दौरान।

पीठ ने पेरारिवलन को प्रत्येक माह के पहले सप्ताह में चेन्नई के निकट स्थानीय पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया तथा कहा कि याचिकाकर्ता की जमानत पर रिहाई के लिए वहां की स्थानीय अदालत अतिरिक्त शर्तें निर्धारित करेगी।

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा है, ‘‘इस तथ्य को लेकर कोई विवाद नहीं है कि याचिकाकर्ता ने 32 साल जेल में बिताए हैं। हमें सूचित किया गया है कि इससे पहले उसे तीन बार पैरोल पर रिहा किया गया है और उसके खिलाफ उस दौरान कोई शिकायत नहीं मिली।’’

न्यायालय ने इस दलील का भी संज्ञान किया कि फिलहाल पेरारिवलन पैरोल पर ही है और सजा की लंबी अवधि के दौरान उसके अच्छे आचरण के पर्याप्त सबूत मौजूद हैं।

पीठ ने इस बात पर भी विचार किया कि पेरारिवलन ने उम्रकैद के दौरान शैक्षणिक योग्यता भी हासिल की है और वह खराब स्वास्थ्य से भी गुजर रहा है।

पीठ ने कहा, ‘‘इस तथ्य को ध्यान में रखकर कि याचिकाकर्ता ने 30 साल से अधिक जेल में बिता लिये हैं, हमारा सुविचारित मत है कि केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के पुरजोर विरोध के बावजूद वह (याचिकाकर्ता) जमानत पर रिहा होने का हकदार है, जो विशेष अनुमति याचिकाओं के अंतिम निपटारे पर निर्भर करेगा।’’

शीर्ष अदालत 47-वर्षीय पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनाई कर रही थी, जिसमें उसने एमडीएमए जांच पूरी होने तक उम्रकैद की सजा निलंबित करने का अनुरोध किया है।

सीबीआई ने 20 नवम्बर 2020 को दिये अपने हलफनामे में शीर्ष अदालत से कहा था कि तमिलनाडु के राज्यपाल को पेरारिवलन की सजा माफी पर निर्णय लेना है। बाद में, राज्यपाल ने दया याचिका यह कहते हुए राष्ट्रपति को भेज दी थी कि उन्हें इस मामले में निर्णय करने का हक नहीं है।

तब से लेकर अभी तक दया याचिका लंबित है तथा शीर्ष अदालत ने कहा है कि सजा में छूट संबंधी अधिकारों के कानूनी विषय के निर्धारण तक दोषी पेरारिवलन को जमानत मंजूर करेगी।

राजीव गांधी की हत्या 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बदुर में एक चुनावी रैली के दौरान महिला आत्मघाती विस्फोट के जरिये कर दी गयी थी। आत्मघाती महिला की पहचान धनु के रूप में की गयी थी।

धनु सहित 14 अन्य लोगों की मौत हो गयी थी। गांधी की हत्या देश में संभवत: पहली ऐसी घटना थी जिसमें किसी शीर्षस्थ नेता की हत्या के लिए आत्मघाती बम का इस्तेमाल किया गया था।

न्यायालय ने मई 1999 के आदेश में चारों दोषियों – पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी- को मौत की सजा बरकरार रखी थी।

शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी 2014 को पेरारिवलन, संथन और मुरुगन के मृत्युदंड को कम करके उम्रकैद में तब्दील कर दी थी। न्यायालय ने केंद्र सरकार द्वारा उनकी दया याचिकाओं के निपटारे में 11 साल की देरी के आधार पर फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने का निर्णय लिया था।

भाषा सुरेश अनूप

अनूप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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