नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सत्येंद्र जैन को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि 4 दिसंबर तक बढ़ा दी है.
मामले को तब टाला गया जब वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने अदालत को बताया कि मामला न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और बेला एम. त्रिवेदी की दो-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है.
24 नवंबर को, मामले को जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और सतीश चंद्र शर्मा की दो-न्यायाधीशों की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था.
अदालत ने मामले को स्थगित कर दिया और जैन को दी गई अंतरिम राहत बढ़ा दी, जमानत याचिका पर सुनवाई की अगली तारीख 4 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है.
जैन की 21 जुलाई को सर्जरी हुई है. जैन को चिकित्सा आधार पर दी गई अंतरिम जमानत समय-समय पर बढ़ाई जाती है.
शीर्ष अदालत ने 26 मई को, मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सत्येंद्र जैन को 6 सप्ताह के लिए अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन मीडिया से बात न करने और बिना अनुमति के दिल्ली छोड़ने समेत कई शर्तें लगाई थीं.
शीर्ष अदालत ने जैन को अपने इलाज के लिए अपनी पसंद का कोई भी अस्पताल चुनने का भी अधिकार दिया था. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया था कि अंतरिम जमानत पर चिकित्सीय स्थिति में विचार किया जाता है.
सत्येंद्र जैन ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया है. उन्होंने अपने खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है.
सत्येंद्र जैन के वकील ने शीर्ष अदालत को बताया था कि इसके कारण उनका वजन 35 किलो कम हो गया है और उनकी हड्डिया नजर आने लगी हैं.
दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन ने अपने खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत याचिका खारिज करने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.
6 अप्रैल को, दिल्ली हाईकोर्ट ने सत्येन्द्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी. एचसी ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि आवेदक एक प्रभावशाली व्यक्ति है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने की क्षमता रखता है. इस स्तर पर, सत्येंद्र जैन/आवेदक को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की दोहरी शर्तों को पूरा करने को लेकर नहीं रोका जा सकता है.
कई सुनवाइयों के बाद बचाव और अभियोजन पक्ष द्वारा दी गई दलीलों के निष्कर्ष के बाद एचसी ने 21 मार्च को आदेश सुरक्षित रख लिया था.
उच्च न्यायालय में बहस के दौरान, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एसवी राजू, प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश हुए और उन्होंने कहा कि जैन और अन्य सह-आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग बिल्कुल स्पष्ट है. अपनी जमानत याचिका में, जैन ने कहा, “मैं 7 बार ईडी के सामने पेश हुआ. मैंने सहयोग किया है और जांच में भाग लिया है. मुझे 2022 में 5 साल बाद गिरफ्तार किया गया था.”
17 नवंबर 2022 को ट्रायल कोर्ट ने सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी. उन्हें 30 मई, 2022 को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं के तहत गिरफ्तार किया गया था और वर्तमान में वह मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.
ईडी का मामला केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की शिकायत पर आधारित है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सत्येंद्र जैन ने 14 फरवरी, 2015 से 31 मई, 2017 तक विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर चल संपत्तियां अर्जित की थीं, जिसका वह संतोषजनक हिसाब नहीं दे सके.
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