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Sunday, 5 May, 2024
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अयोध्या में ज़मीन लेनी है या नहीं इस पर फैसला करेगा सुन्नी वक्फ बोर्ड : जफर फारुकी

फारुकी ने कहा कि अगर बोर्ड की बैठक में मस्जिद के लिए जमीन लेने का फैसला किया गया तो उस जमीन के आसपास की जरूरतों के हिसाब से निर्माण संबंधी कदम उठाए जाएंगे.

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लखनऊ: सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर अयोध्या में 5 एकड़ जमीन लेने के मामले पर 26 नवंबर को प्रस्तावित अपनी बैठक में फैसला करेगा.

बोर्ड के अध्यक्ष जफर फारूकी ने रविवार को कहा कि बोर्ड की सामान्य बैठक आगामी 26 नवंबर को संभावित है. उसमें ही यह निर्णय लिया जाएगा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश के अनुसार अयोध्या में सरकार द्वारा दी जाने वाली पांच एकड़ जमीन ली जाए या नहीं.

उन्होंने बताया कि वैसे तो वक्फ बोर्ड की बैठक 13 नवंबर को होनी थी मगर अयोध्या मामले में निर्णय आने के मद्देनजर इसे टाल दिया गया. अब यह 26 नवंबर को संभावित है.

फारूकी ने कहा कि जमीन लेने को लेकर उन्हें लोगों की अलग-अलग राय मिल रही है. मगर उनका व्यक्तिगत रुप से मानना है कि नकारात्मकता को सकारात्मकता से ही खत्म किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि कुछ लोग यह राय दे रहे हैं कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को बाबरी मस्जिद के एवज में कोई वैकल्पिक जमीन नहीं लेनी चाहिए. वह उनके जज्बात की कद्र करते हैं मगर उनकी समझ से इससे नकारात्मकता ही बढ़ेगी.

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फारुकी ने कहा कि उन्होंने अयोध्या मामले में मध्यस्थता की पैरोकारी इसीलिए की थी ताकि दोनों पक्षों के बीच व्याप्त नकारात्मकता खत्म हो जाए. वह कोशिश भले ही कामयाब ना हुई हो लेकिन हमारी राय बिल्कुल साफ है.

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का यह भी मत है कि वक्फ बोर्ड वह जमीन ले ले और उस पर कोई शिक्षण संस्थान बना दे. उसी परिसर में एक मस्जिद की भी तामीर हो जाए.

फारुकी ने कहा कि अगर बोर्ड की बैठक में मस्जिद के लिए जमीन लेने का फैसला किया गया तो उस जमीन के आसपास की जरूरतों के हिसाब से निर्माण संबंधी कदम उठाए जाएंगे.

उन्होंने कहा कि जहां तक जमीन का सवाल है तो वह उच्चतम न्यायालय के आदेश का हिस्सा है जिसका अनुपालन सरकार को करना होगा. हालांकि बोर्ड अपनी बैठक में यह तय करेगा कि उसे वह जमीन लेनी है या नहीं. अब जमीन कैसे ली जाएगी, उसकी क्या शर्ते होंगी यह भी बोर्ड को तय करना होगा.

मालूम हो कि राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद विवाद में उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को ऐतिहासिक निर्णय सुनाते हुए सरकार को विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने और मुसलमानों को अयोध्या में ही किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद बनाने के लिए 5 एकड़ जमीन देने के निर्देश दिए थे. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड इस मामले में प्रमुख पक्षकार था.

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