नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र और संबंधित अधिकारियों से कहा कि वे दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण कम करने की अपनी कार्रवाई योजना पर फिर से विचार करें और देखें कि क्या इससे कोई प्रभावी बदलाव हुआ है.
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा, “क्यों न आप अपनी योजना पर फिर से नजर डालें और देखें कि क्या आपने कोई प्रभावी बदलाव लाया है? यदि लाए हैं तो क्या वे आवश्यकतानुसार कम हैं? यह मूल्यांकन करना महत्वपूर्ण है कि आपकी योजना प्रभावी रही या नहीं.”
सुप्रीम कोर्ट ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से पूछा कि पराली जलाने के अलावा और कौन से कारक वायु प्रदूषण बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं. अदालत ने कहा कि केवल किसानों को दोषी ठहराना आसान है, जबकि वैज्ञानिक विश्लेषण से अन्य कारणों पर भी ध्यान देना जरूरी है.
अदालत ने यह भी कहा, “पराली जलाना तो हमेशा होता रहा है. 4-5 साल पहले लोग नीला आसमान क्यों देख सकते थे? अब क्यों नहीं देख पा रहे?” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वायु प्रदूषण के मामले में वह हर महीने कम से कम दो बार सुनवाई करेगा.
साथ ही कोर्ट ने मामला 10 दिसंबर तक पोस्ट किया. अदालत के विचार-विमर्श के दौरान दिल्ली की वायु गुणवत्ता खराब बनी रही. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, सोमवार सुबह 7 बजे दिल्ली का AQI 299 दर्ज किया गया, जो रविवार शाम 4 बजे 279 था.
वायु गुणवत्ता की स्थिति: नेहरू नगर में AQI 354 था, जो “बहुत खराब” श्रेणी में आता है. इसके अलावा रोहिणी 341, बावना 339, आरके पुरम 336, मुंडका 330 और पंजाबी बाग 328 पर खतरनाक स्तर की वायु गुणवत्ता बनी रही. न्यूनतम AQI NSIT द्वारका में 195 दर्ज हुआ, जो “मध्यम” श्रेणी में आता है. मंदिर मार्ग 207 और IGI एयरपोर्ट T3 248 पर भी बेहतर हालात दिखे. अन्य प्रभावित क्षेत्र जैसे आनंद विहार 325, जहांगीरपुरी 321, विवेक विहार 321, शादिपुर 324 और पीयूसा 322 “बहुत खराब” श्रेणी में रहे.
दिल्ली-एनसीआर में इस साल लगातार सुधार दिखा है. जनवरी-नवंबर 2025 में क्षेत्र का औसत AQI 187 रहा, जो 2024 में 201 था और पिछले आठ वर्षों में सबसे कम है (2020 को छोड़कर, जब COVID-19 लॉकडाउन था).
