(सौगत मुखोपाध्याय)
मुरारई (प. बंगाल), सात दिसंबर (भाषा) बीरभूम जिले के पाइकर गांव के निवासी तीस वर्षीय आमिर खान का कहना है कि इस सप्ताह की शुरुआत में बांग्लादेश से वापस लाई गईं उनकी पड़ोसी सुनाली खातून के लौटने की खबर सुनकर वह उम्मीद से भर गए हैं, हालांकि अब भी उनकी चिंता बरकरार है।
खान को उम्मीद है कि सुनाली की तरह ही उनकी बहन स्वीटी बीबी के भी अब घर लौट आने का रास्ता साफ हो पाएगा।
आमिर ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं अब अपनी बहन और भांजों की वापसी की उम्मीद लगा रहा हूं, जो अब भी बांग्लादेश में फंसे हुए हैं क्योंकि भारत सरकार उन्हें वापस नहीं बुला रही है। आखिरकार, उनकी हिरासत और बांग्लादेश भेजे की परिस्थितियां और सुनाली की परिस्थितियां एक जैसी ही थीं।’’
उन्होंने कहा कि परिवार ने पिछले सात महीनों में अधिकारियों से बार-बार कहा था कि स्वीटी एक भारतीय नागरिक है, लेकिन इन दलीलों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
खान ने कहा, ‘‘मुझे इस बात की भी आशंका है कि पिछले सात महीनों से हमारी बार-बार की गई अपील के बावजूद कि मेरी बहन और उसके बच्चों को गलती से उठा लिया गया है और वे विदेशी धरती पर कैद रहने के हकदार नहीं है, केंद्र सरकार सुनने को तैयार नहीं है।’’
खान अब 12 दिसंबर को उच्चतम न्यायालय में होने वाली मामले की सुनवाई पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे हमारे लिए लड़ रहे लोगों ने बताया है कि उस सुनवाई के बाद, मेरी बहन के वापस लौटने की प्रबल संभावना है।’’
स्वीटी और उसके दो बेटों – कुर्बान शेख (17) और इमाम दीवान (6) को दिल्ली में काटजू नगर पुलिस ने सुनाली के ही मोहल्ले से बांग्लादेशी नागरिक होने के संदेह में हिरासत में लिया और बाद में 27 जून को सीमा पार भेज दिया।
खान ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि स्वीटी उस इलाके में घरेलू सहायिका का काम करती थी और 12 साल की उम्र से दिल्ली में रह रही थी। स्वीटी का तीसरा बेटा इमरान (10) बांग्लादेश भेजे जाने से बच निकला और वर्तमान में बीरभूम में अपनी दादी के साथ रहता है।
भाषा शफीक रंजन
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