नयी दिल्ली, 11 जुलाई (भाषा) भारतीय अंतरिक्ष संघ (आईएसपीए) ने सोमवार को कहा कि उपग्रह स्पेक्ट्रम के लचीले उपयोग पर सुझाव उपग्रह संचार सेवाओं के पसंदीदा प्रक्षेपण के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया को गुमराह करने और पटरी से उतारने का प्रयास प्रतीत होता है।
टेलीकॉम संचालकों में उपग्रह संचार सेवाओं को शुरू करने के लिए अंतरिक्ष-आधारित स्पेक्ट्रम के आवंटन पर मतभेद हैं। भारती एंटरप्राइजेज समर्थित वन वेब और अमेजन प्रशासनिक आवंटन की मांग कर रहे हैं और रिलायंस जियो चाहता है कि नीलामी का मार्ग अपनाया जाए।
हाल ही में, जियो ने भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को पत्र लिखा था और उपग्रह तथा स्थलीय उपयोग के बीच ‘एयरवेव्स’ (वायु तरंगों) के लचीले उपयोग की मांग की थी।
आईएसपीए के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) ए.के. भट्ट ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, “उपग्रह स्पेक्ट्रम के लचीले उपयोग की मांग से संबंधित मीडिया में आई खबरों के जवाब में, शुरुआत में, आईएसपीए यह बताना चाहेगा कि यह प्रस्तुतीकरण सैटकॉम सेवाओं के पसंदीदा प्रक्षेपण के लिए स्पेक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया को गुमराह करने और पटरी से उतारने का एक प्रयास प्रतीत होता है।”
आईएसपीए देश में उभरते निजी अंतरिक्ष क्षेत्र का प्रतिनिधि निकाय है।
उन्होंने कहा कि 26 गीगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम बैंड के उपयोग पर न्यूजीलैंड सरकार का निर्णय कहीं भी उपग्रह स्पेक्ट्रम के लचीले उपयोग की वकालत नहीं करता है, और यह केवल स्पेक्ट्रम के साझा उपयोग को परिभाषित करता है।
भट्ट ने कहा, “दस्तावेज में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि न्यूजीलैंड सरकार का निर्णय एक अस्थायी उपाय है और इस पर अंतिम निर्णय पूर्व परामर्श के बाद 2026 तक लिया जाएगा।”
भाषा प्रशांत नेत्रपाल
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