नयी दिल्ली, 20 सितंबर (भाषा) विमानन क्षेत्र में हाल में उतरी अकासा एयर ने दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि करीब 40 पायलटों के ‘‘अचानक’’ इस्तीफा देने और बिना अनिवार्य नोटिस अवधि पूरा किए जाने से वह ‘‘संकट की स्थिति’’ में आ गई है।
विमानन कंपनी और कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विनय दुबे ने इस मामले में 14 सितंबर को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अनुरोध किया कि वह नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को इन पायलटों के खिलाफ उनके ‘‘गैरजिम्मेदाराना व्यवहार’’ के लिए दंडात्मक कार्रवाई का निर्देश दे।
अदालत ने इस मामले की सुनवाई के लिए शुक्रवार की तारीख तय की है।
विमानन कंपनी ने सात अगस्त 2022 को मुंबई से अहमदाबाद के बीच पहली वाणिज्यिक उड़ान शुरू की लेकिन कई पायलटों के इस्तीफे से वह मुश्किल का सामना कर रही है। कंपनी ने अदालत को बताया कि कई पायलटों के इस्तीफा देने से सितंबर में उसे बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं।
कंपनी ने न्यायमूर्ति प्रीतम सिंह अरोड़ा की अदालत को 19 सितंबर को बताया कि इन इस्तीफों की वजह से वह ‘‘संकट का सामना’’ कर रही है और इस महीने रोजाना कई उड़ान रद्द करनी पड़ रही हैं।
अदालत ने पक्षकारों को लिखित में जवाब देने का निर्देश दिया।
इसने नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) का पक्ष रख रही अधिवक्ता अंजना गोसाईं से जानना चाहा कि पायलटों के इस्तीफे से उड़ानों को रद्द किए जाने को लेकर वह क्या कार्रवाई कर रहा है।
एनएनवी एविएशन प्राइवेट लिमिटेड ‘अकासा एयर’ नाम से उड़ानों का परिचालन करती है। इसने अदालत से अनुरोध किया कि वह डीजीसीए को ‘‘नागरिक विमानन क्षेत्र में अनिर्वाय नोटिस अवधि पूरा नहीं करने वाले पायलटों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दे।’’
अकासा एयर के प्रवक्ता ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि पायलटों की कमी ऐसा मुद्दा है जिसका सामना विमानन उद्योग गत कई दशकों से कर रहा है और योजनाकारों की टीम के तौर पर ‘‘हम अप्रत्याशित परिस्थितियों के लिए तैयार हैं तथा हमारे पास आकस्मिक प्रबंधन रणनीतियां हैं।’’
प्रवक्ता ने कहा, ‘‘इस संबंध में हमारे पास 10 साल की योजना है जिनमें पायलटों की भर्ती, प्रशिक्षण और आंतरिक करियर उन्नयन का विषय शामिल है। तथ्य यह है कि आज हमारे पास प्रशिक्षण के विभिन्न स्तरों पर 30 विमानों को उड़ाने के लिए पर्याप्त संख्या में पायलट हैं। हमारी प्रशिक्षण साझेदारी इस क्षेत्र के अहम खिलाड़ियों-बोइंग और सीएई के साथ है तथा इससे बढ़कर हमारे पास अपना कैडेट विकास कार्यक्रम है।’’
कंपनी ने बयान में कहा कि इस देश के पास हर साल हजारों पायलट तैयार करने की क्षमता है और वह नहीं मानती कि यह इतनी बड़ी चुनौती है जिसका समाधान अच्छी योजना के साथ नहीं किया जा सकता।
विमानन कंपनी ने अपनी अर्जी में कहा कि वह कुछ पायलटों के ‘‘गैर जिम्मेदाराना’’ कदम की वजह से खुद की और जनता की प्रभावी तरीके से रक्षा करने का तरीका नहीं खोज पा रही है। कपंनी ने कहा कि उसे पायलटों के संवेदनहीन कदम को लेकर गहरी शिकायत है जो 2017 के नागरिक उड्डयन आवश्यकता और कंपनी के साथ किए गए करार का उल्लंघन है।
कंपनी ने कहा कि ऐसे प्रत्येक इस्तीफे से जिसे पायलटों ने बिना उसके प्रभाव को समझे दिया, अन्य पायलट प्रेरित हुए और उन्होंने भी इसी तरह का कदम उठाया जो जून 2023 में दिए गए पहले इस्तीफे के बाद लगातार बढ़े इस्तीफों से स्पष्ट होता है।
याचिका में कहा गया कि विमानन कंपनी के अधिकारियों ने कई बार अपनी समस्याएं बताने के लिए डीजीसीए के प्रतिनिधियों से मुलाकात की लेकिन अधिकारियों से कोई जवाब या भरोसा नहीं मिला जिसके बाद उसने नागरिक उड्यन मंत्रालय के समक्ष अपनी बात रखी।
इसमें कहा गया, ‘‘याचिकाकर्ता संख्या-1 ने इसके बाद 18 अगस्त 2023 को अभ्यावेदन माननीय नागरिक उड्डयन मंत्री को दिया ताकि माननीय मंत्री और उनके कार्यालय के संज्ञान में बिना नोटिस अवधि पूरी किए पायलटों के सामूहिक इस्तीफे का मुद्दा लाया जा सके। सम्मान के साथ अदालत को बताना चाहते हैं कि याचिककाकर्ता की जानकारी के मुताबिक उनके अभ्यावेदन पर कोई कार्रवाई होती नहीं दिखी।’’
याचिका में कहा गया कि डीजीसीए की मामले में निष्क्रिया अजीब है क्योंकि जनहित में कार्य करना उसका कानूनी कर्तव्य है।
इसमें कहा गया कि पायलटों के कृत्य से जनता को भारी परेशानी और असुविधा का सामना करना पड़ा क्योंकि कई उड़ानों को आखिरी समय रद्द करना पड़ा, देरी से रवाना किया गया या विमान उड़ान नहीं भर सके।
याचिका में कहा गया कि बड़ी संख्या में पायलट कंपनी के स्थायी कर्मी थे और उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने के तत्काल बाद सेवा छोड़ दी। याचिका के मुताबिक, इस्तीफा देने वाले पायलटों ने अनिवार्य नोटिस अवधि पूरी करने से इनकार कर दिया जो कंपनी से किए गए करार के तहत छह महीने की थी।
इसमें कहा गया है कि पायलटों द्वारा इस्तीफे के समय बताया गया कारण वैध या प्रामाणिक नहीं था और अधिकतर इस्तीफे ई-मेल के जरिये भेजे गए जिनमें कंपनी छोड़ने का कारण या कदम को न्यायोचित ठहराने का तर्क तक नहीं था।
भाषा धीरज नेत्रपाल
नेत्रपाल
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