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गुरूवार, 26 जून, 2025
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यमुना में झाग के लिए जिम्मेदार प्रदूषक ‘हॉटस्पॉट’ की पहचान के लिए अध्ययन की योजना

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नयी दिल्ली, 20 जून (भाषा) दिल्ली सरकार यमुना नदी में प्रदूषण के ‘हॉटस्पॉट’ की पहचान करने के लिए अध्ययन कराएगी जो नदी में झाग बनने के लिए जिम्मेदार है।

अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि अध्ययन का मकसद नदी में झाग को कम करने के लिए कम अवधि की और दीर्घकालिक कार्य योजना बनाना भी है।

परियोजना प्रस्ताव के अनुसार, पर्यावरण विभाग का अध्ययन नदी में झाग के स्रोतों और कारणों का पता लगाएगा जो पानी में स्थिरता और उसमें घुली हुई ऑक्सीजन के शून्य (स्तर) को दर्शाता है।

सर्दियों में जब तापमान और नदी में प्रवाह कम होता है तब आईटीओ और ओखला बैराज के पास जैसे नदी के कुछ हिस्सों में झाग का सामने आना वार्षिक घटना बन गई है।

अधिकारियों के अनुसार, जहरीले झाग के बनने का प्राथमिक कारण अपशिष्ट जल में फॉस्फेट का उच्च स्तर होना है।

उन्होंने बताया कि रंगाई उद्योग, धोबी घाटों और घरों में इस्तेमाल होने वाले डिटर्जेंट, फॉस्फेट का प्रमुख स्रोत हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि कॉलोनियों और बस्तियों से उच्च फॉस्फेट से लैस अपशिष्ट जल नालियों के माध्यम से नदी तक पहुंचता है और यह जब बैराज में ऊंचाई से गिरता है, तो इससे झाग बनने लगते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि झाग की समस्या तब तक बनी रहेगी जब तक कि दिल्ली में सीवर शोधन संयंत्रों और साझा प्रवाह शोधन संयंत्रों का उन्नयन नए मानकों के मुताबिक नहीं किया जाता है और सभी अनधिकृत कॉलोनियों को सीवर नेटवर्क से नहीं जोड़ा जाता है।

दिल्ली में लगभग 770 एमजीडी अपशिष्ट जल उत्पन्न होता है। दिल्ली में 20 स्थानों पर लगे 34 सीवेज शोधन संयंत्र सीवर के 570 एमजीडी तक पानी का शोधन करते हैं। शेष सीधे नदी में जाता है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी के 34 सीवेज शोधन संयंत्रों में से सिर्फ आठ निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं।

आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी में 1,799 अनधिकृत कॉलोनियों में से अब तक 716 में सीवर लाइन बिछाई जा चुकी है।

अध्ययन में नदी में सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार प्रमुख नालों और कॉलोनी और औद्योगिक क्षेत्रों समेत हॉटस्पॉट की पहचान की जाएगी।

प्रस्ताव के अनुसार, नजफगढ़ नाले और अन्य नालों में झाग के स्रोतों का आकलन और पहचान भी की जाएगी।

नजफगढ़ नाला 51 किलोमीटर लंबा और दिल्ली में सबसे बड़ा है और यह राजधानी में उत्पन्न होने वाले कुल अपशिष्ट जल का 60 फीसदी यमुना में छोड़ता है।

अध्ययन झाग के लिए जिम्मेदार घरेलू उत्पादों के संभावित विकल्पों का भी सुझाव देगा।

भाषा नोमान नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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