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Saturday, 23 November, 2024
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आपके चिप्स का पैकेट आपकी जान का दुश्मन हो सकता है, सावधान : सीएसई

भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, एफएसएसएआई की जांच में पता चला कि बाज़ार में बिक रहे सभी बड़े ब्रांड के नमकीन सरकार के तय मानकों को पूरा नहीं करते.

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नई दिल्ली: अगर आप भी टू यम मल्टीग्रेन चिप्स खाते हैं, वही जिसका भारतीय क्रिकेट कप्तान विराट कोहली ‘स्मार्ट स्नैक’ कहते हुए विज्ञापन करते हैं तो सावधान. आपको अच्छे स्वास्थ्य के लिए जितना नमक खाना चाहिए उससे कही अधिक एक ग्राम इस 30 ग्राम के चिप्स के पैकेट में है. यानि दिन भर में आपको जितना नमक खाना चाहिए उससे दोगुना इस 30 ग्राम के पैकेट में है. और यही कहानी भारत में बिकने वाले कई नमकीनों, सूप, नूडल्स और बर्गर, पिज़्ज़ा की है. ऐसा सीएसई की रिपोर्ट में दावा किया गया है.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवाइरन्मेंट ने प्रोसेस्ड फूड की जांच की जिसके नतीजे सुन कर आपके खतरे की घंटी बज जायेगी. भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण, एफएसएसएआई ने जो जांच की तो उससे पता चला कि बाज़ार में बिक रहे सभी बड़े ब्रांड के नमकीन सरकार के तय मानको को पूरा नहीं करते. सीएसई की एन्वायरंनमेंट मॉनिटरिंग लैब ने सभी परीक्षण किए.

अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि जंक फूड में नमक, वसा, ट्रांस फैट की अत्यधिक मात्रा है जो मोटापा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और हृदय की बीमारियों के लिए जिम्मेदार है. संगठन का आरोप है कि ‘ताकतवर प्रॉसेस्ड फूड इंडस्ट्री और सरकार की मिलीभगत से जंक फूड 6 साल से चल रहे तमाम प्रयासों के बावजूद कानूनी दायरे में नहीं आ पाया है. जंक फूड बनाने वाली कंपनियां उपभोक्ताओं को गलत जानकारी देकर भ्रमित कर रही हैं और खाद्य नियामक मूकदर्शक बनकर बैठा हुआ है.’

सीएसई की प्रयोगशाला में 33 उत्पादों की जांच की गई. इनमें से 14 पैकेटबंद भोजन थे और 19 फास्ट फूड. इनमें नमक, वसा, ट्रांस फैट और कार्बोहाइड्रेट की जांच की गई.

सीएसई की प्रयोगशाला में 33 उत्पादों की जांच की गई। इनमें से 14 पैकेटबंद भोजन थे और 19 फास्ट फूड। इनमें नमक, वसा, ट्रांस फैट और कार्बोहाइड्रेट की जांच की गई। जांच के नतीजे इस प्रकार हैं

अध्ययन के अनुसार 30 ग्राम सर्विंग साइज (खाने के लिए अनुमति योग्य मात्रा) का दावा करने वाले चिप्स पैकेट का आकार सचमुच दावे के अनुरूप नहीं होता. उदाहरण के तौर पर लेज़ के 20 रुपए वाले ‘अमेरिकन स्टाइल क्रीम एंड ओनियन फ्लेवर’ का वजन 52 ग्राम है, जबकि उस पर सर्विंग साइज 30 ग्राम लिखा है. ज्यादा ऑफर वाले चिप्स आप ज्यादा खा सकते हैं इसलिए सोफे पर चिप्स का पैकेट लेकर आराम करने से पहले उसकी छपाई पर ध्यान दें और यह दिमाग लगाएं कि बिना स्वास्थ्य पर प्रभाव डाले कितना खाया जा सकता है.

सीएसई लैब ने चार प्रकार के नमकीनों को जांचा है. एक में उच्च मात्रा में नमक और वसा पाया गया है. हल्दीराम क्लासिक नट क्रैकर में नमक की मात्रा बहुत ज्यादा है. यह आरडीए मानकों से 35 फीसदी ज्यादा है. यह एक बार के भोजन में नमक की अनुमति दी गई मात्रा से भी ज्यादा है.

हल्दीराम की आलू भुजिया खाते ही आप रिकमेन्डेड डायटरी अलॉवेंस (आरडीए) मानकों द्वारा तय 21 फीसदी नमक खा लेते हैं, लेकिन ग्राहक किसी भी तरीके से यह नहीं जान सकता है कि इस नमकीन और चिप्स को खाते हुए वह कितनी मात्रा में नमक खा चुका है. सीएसई के जरिए जांचे गए 14 पैकेटबंद भोजन में 10 ने अपने उत्पादों में सोडियम के बारे में बताया है लेकिन नमक के बारे में नहीं. इससे ग्राहकों को भ्रामक सूचना मिलती है. तीन उत्पादों में न ही सोडियम और न ही नमक की मात्रा दर्शायी गई. सिर्फ एक उत्पाद में नमक अथवा सोडियम की मात्रा लिखी गई है.

सीएसई की निदेशक सुनीता नारायण ने आरोप लगाया कि ‘हमने पाया कि पैकेज्ड खाने और फास्ट फूड के जो सैंपल हमने टेस्ट किए उन सभी में खतरनाक स्तर का नमक और वसा पाया गया है. उपभोक्ता होने के नाते हमारा अधिकार है कि हमारे खाने के पैकेट क्या है वो हमें पता हो. पर हमारा खाद्य नियामक, एफएएसएसआई ने अपने ही ड्राफ्ट लेबलिंग रेग्युलेशन को पारित नहीं किया है. ये स्वीकार्य नहीं है. ये हमारे जानने के अधिकार और स्वास्थ्य के अधिकार को ज़ोखिम में डालता है. ‘

संगठन के प्रोग्राम निदेशक अमित खुराना कहते हैं ‘क्या हम अपने मोटापे, मधुमेह और दिल की बिमारियों को बोझ को कम करने के बारे में गंभीर है. एफएसएसएआई का रुख तो इससे इतर दिखता है.’

सीएसई लैब ने चार प्रकार के नमकीनों को जांचा है. एक में उच्च मात्रा में नमक और वसा पाया गया है. हल्दीराम क्लासिक नट क्रैकर में नमक की मात्रा बहुत ज्यादा है. यह आरडीए मानकों से 35 फीसदी ज्यादा है. यह एक बार का समुचित खाना खाने में अनुमति योग्य नमक से भी ज्यादा है. वहीं, सिर्फ वेबसाइट पर ही 35 ग्राम इसकी सर्विंग साइज़ के बारे में लिखा गया है. यानी पैक खोलने से पहले ऑनलाइन जांचना एक बहुत ही दुश्वारी भरा काम है.

सीएसई का कहना है कि एफएसएसएआई के जुलाई 2019 के ड्राफ्ट नोटिफिकेशन, जो कि काफी कमज़ोर किया हुआ नोटिफिकेशन है, में भी प्रावधान है कि खाद्य पदार्थो को लेबल किया जाए – कि इसमें स्वास्थ्य मानकों के हिसाब से ज्यादा क्या सामग्री है. अगर उस तय मानक से ज्यादा सामग्री हो तो खाद्य पैकेट पर लाल निशान लगाना ज़रूरी होगा. पर किसी भी पैकेट पर लाल निशान नहीं लगा था. सीएसई का आरोप है कि ताकतवर फूड लॉबी के दबाव में एसा किया जा रहा है.

(न्यूज एजेंसी भाषा के इनपुट्स के साथ)

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