नई दिल्ली: शैक्षणिक वर्ष 2024-25 से, स्कूली बच्चे नई, अपडेटेड पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन करेंगे, क्योंकि शिक्षा मंत्रालय आने वाले समय में सभी स्तरों के नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) वाली पुस्तकों को रिलीज करने वाला है.
NCF करीकुलम गाइडलाइन्स का एक सेट है, जो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का एक प्रमुख घटक है. नाम न छापने की शर्त पर शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि अब तक, मंत्रालय ने फाउंडेशनल लेवल के लिए एनसीएफ जारी किया है, जो प्री-स्कूल से कक्षा 2 तक है. अन्य स्तरों के लिए एनसीएफ आने वाले महीनों में जारी किया जाएगा, जिसके अनुसार किताबें अपडेट की जाएंगी.
अधिकारी ने कहा कि किताबें हिंदी और अंग्रेजी समेत 13 भाषाओं में छपेंगी.
NCF को विकसित करने की प्रक्रिया का नेतृत्व भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के पूर्व प्रमुख के. कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता वाली एक विशेषज्ञ समिति कर रही है, जिन्होंने NEP 2020 को आकार देने में भी मदद की थी. यह एक्सरसाइज शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की देखरेख में किया जा रहा है जो स्कूल स्तर के पाठ्यक्रम पर काम करता है.
नए NCF को डिजाइन करने में मदद के लिए 25 राष्ट्रीय फोकस ग्रुप्स के साथ बातचीत जारी है. भारत में वर्तमान में उपयोग किया जाने वाला एनसीएफ 2005 से चला आ रहा है.
NCF के आधार पर, कक्षा 1 और 2 के लिए पाठ्यपुस्तकें महीने के अंत तक जारी की जाएंगी, क्योंकि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 से पहले ही दिशा-निर्देशों को फाउंडेशनल स्टेज में अपना लिया है.
शिक्षा मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने एनसीएफ पर अपनी स्थिति को लेकर कागजात जमा कर दिए हैं, जहां उन्होंने मंत्रालय को अपने द्वारा उठाए गए कदमों और सिलेबस से उनकी अपेक्षा के बारे में सूचित किया है.
आगे उन्होंने कहा, “हम अभी (स्थिति) कागजात की जांच कर रहे हैं. उसके आधार पर, सभी राज्यों द्वारा उठाए गए बेहतरीन कदमों को एनसीएफ में शामिल किया जाएगा. राज्य एनसीएफ को उसी रूप में अपनाने का विकल्प चुन सकते हैं, या अपनी समझ के अनुसार उसमें बदलाव भी कर सकते हैं.”
एनसीईआरटी द्वारा तैयार एक शासनादेश दस्तावेज़ के अनुसार, छात्रों के बीच “देश के लिए गर्व पैदा करने” के उद्देश्य से, नए पाठ्यक्रम में सब कुछ “भारतीय जड़ों” को ध्यान में रखते हुए तैयार किया जाएगा. दस्तावेज़ में कहा गया है कि इसका उद्देश्य उन्हें लैंगिक समानता सिखाना और उन्हें दूसरों की पीड़ा समझने वाला इंसान बनाना है.
पहले जिक्र किए गए पहले शिक्षा अधिकारी ने यह भी कहा कि एक बार नई किताबें जारी होने के बाद, सरकार नए पाठ्यक्रम को PARAKH (परफॉर्मेंस एसेसमेंट, रिव्यू एंड एनालिसिस ऑफ नोलेज फॉर होलिस्टिक डेवलेपमेंट) के साथ सुसंगत बनाएगी. परख एक नया एसेसमेंट प्लेटफॉर्म है जो कि सरकार लॉन्च करने की प्रक्रिया में है.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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