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Wednesday, 18 December, 2024
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JNU में फिर छात्रों का विरोध प्रदर्शन, बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण की उठाई मांग

जेएनयू प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने के बावजूद बीती रात इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाया गया. अब इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद हो रहा है.

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नई दिल्ली: जेएनयू फिर विवादों में है . जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के लेफ्ट विंग के छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने अयोध्या में ध्वस्त बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर कैंपस के अंदर एक विरोध मार्च निकाला. जेएनयूएसयू उपाध्यक्ष साकेत मून ने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण की मांग करते हुए बताए जा रहे हैं..कथित वीडियो में भाषण भी दिया.

जेएनयूएसयू ने बाबरी मस्जिद विध्वंस और बी. आर. आंबेडकर की पुण्यतिथि के मौके पर सोमवार रात को एक मार्च का आयोजन किया था. ‘ इसी वीडियो में मून की आवाज सुनाई दे रही है जिसमें वह यह कहते हुए सुने जा रहे हैं कि, ‘ मुआवजा दिया जाना चाहिए. यह स्वीकार किया जाना चाहिए कि बाबरी मस्जिद का विध्वंस गलत था और इसका पुनर्निर्माण होना चाहिए.

दरअसल, छात्रों की नारेबाजी पर दिल्ली के बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने तीखी आलोचना की है. उन्होंने कहा, ‘जेएनयू में ऐसी बातें करने वालों की सोच विषैली है और बाबरी मस्जिद को दोबारा बनाने का सपना गलती से भी कोई ना देखे. देश में 47000 मंदिरों को तोड़ा गया है. अभी तो सिर्फ एक मंदिर का ही पाप उतरा है.’

वहीं छात्र संघ की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा, ‘बाबरी मस्जिद के बाद भाजपा का अगला निशाना काशी है . भाजपा ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है. हम नागालैंड में नागरिकों की हत्या की निंदा कर रहे हैं भाजपा आरएसएस ने विकास के नाम पर कुछ नहीं किया है, लेकिन वे हमें धर्म, कानून व्यवस्था के नाम पर बांट रहे हैं’.


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जेएनयू प्रशासन के मंजूरी के बिना हुआ था कार्यक्रम

जेएनयू प्रशासन की अनुमति नहीं मिलने के बावजूद बीती रात इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाया गया. अब इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर विवाद हो रहा है.

रविवार को छात्रसंघ ने परिसर में एक शो का भी आयोजन किया था. जिसमें बाबरी मस्जिद विध्वंस पर आधारित एक फिल्म दिखाई गई थी. एडमिन ने छात्रों से कहा था कि ऐसी कोई भी फिल्म का प्रसारण न करें अन्यथा सख्त कार्रवाई की जाएगी.

जेएनयूएसयू के उपाध्यक्ष साकेत मून ने कहा कि किस तरह अदालत ने यह स्वीकार किया कि बाबरी मस्जिद को गिराया जाना गलत था और कहा था कि इसे फिर से बनाया जाना चाहिए.’

रविवार रात को ‘राम के नाम’ नाम की डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की. जबकि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने ऐसे किसी भी प्रकार के कार्यक्रम और विरोध मार्च के आयोजन पर रोक लगाई हुई थी कि ‘इस तरह की अनाधिकृत गतिविधि से विश्वविद्यालय परिसर में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ सकता है.’

विश्वविद्यालय प्रशासन ने अभी इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.


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