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बुधवार, 28 मई, 2025
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डीयू के विधि संकाय में प्रवेशपत्र नहीं देने पर छात्रों ने किया हंगामा, बाद में मिली अनंतिम अनुमति

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नयी दिल्ली, 27 मई (भाषा) दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के विधि संकाय में कम उपस्थिति के कारण लगभग 150 छात्रों को आगामी परीक्षाओं के लिए प्रवेशपत्र देने से इनकार किए जाने के बाद मंगलवार को तनाव की स्थिति पैदा हो गई। गुस्साए छात्रों ने विरोध प्रदर्शन किया और परीक्षा में बाधा उत्पन्न की।

हालांकि विधि संकाय ने बाद में एक आधिकारिक नोटिस जारी किया जिसमें कहा गया कि जिन छात्रों को ‘‘कम उपस्थिति के कारण रोका गया है उन्हें जांच समिति के परिणाम के अधीन मई-जून में एलएलबी की टर्म परीक्षा में बैठने की अनंतिम अनुमति दी जा रही है।’’

नोटिस में कहा गया कि यह निर्णय ‘सक्षम प्राधिकारी के निर्देशों के तहत’ जारी किया गया।

हालात सोमवार रात तब बिगड़ गए जब छात्रों के एक समूह ने कथित तौर पर परीक्षा विभाग में तोड़फोड़ की। सुबह उन छात्रों ने परीक्षा केंद्र को ताला लगा दिया और कहा, ‘‘अगर हम परीक्षा में नहीं बैठ सकते तो कोई भी नहीं बैठेगा।’’

सूत्रों ने बताया कि इस व्यवधान के कारण सुबह साढ़े नौ बजे निर्धारित परीक्षा दो घंटे विलंब से शुरू हुई। प्रशासन ने हस्तक्षेप किया, ताला तोड़कर परीक्षा कराई और जिन छात्रों के पास प्रवेशपत्र नहीं थे उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने प्रवेशपत्र न देने की निंदा करते हुए दावा किया कि परीक्षा शुरू होने से मात्र तीन दिन पहले 300 से अधिक छात्रों को मनमाने ढंग से परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया।

एक बयान में आरएसएस की छात्र शाखा एबीवीपी ने विधि संकाय प्रशासन पर पक्षपात का आरोप लगाया, विशेष रूप से दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) के अध्यक्ष और एनएसयूआई नेता रौनक खत्री को प्रवेशपत्र जारी करने का आरोप लगाया और कहा कि वह उपस्थिति संबंधी मानदंड को पूरा नहीं करते हैं।

एबीवीपी ने कहा, ‘यह विधि संकाय के डीन के पक्षपातपूर्ण रवैये का संकेत है।’ उन्होंने तत्काल स्पष्टीकरण और डीन के इस्तीफे की मांग की। बयान में कहा गया, ‘इस पक्षपातपूर्ण कृत्य के कारण सैकड़ों छात्र आक्रोशित हैं।’

एबीवीपी दिल्ली के प्रदेश सचिव सार्थक शर्मा ने कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि छात्रों के भविष्य की रक्षा करने वाले संस्थान ही उनके सपनों को नष्ट कर रहे हैं।

उन्होंने कहा,‘‘ डूसू अध्यक्ष को विशेषाधिकार क्यों दिया गया जबकि सैकड़ों छात्रों को इससे वंचित रखा गया?’’

भाषा

शोभना वैभव

वैभव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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