नई दिल्ली: पिछले शनिवार सुबह करीब 7 बजे मोहम्मद साकिब को एक आदमी की तस्वीर दिखाई गई. उससे कहा गया कि पास के नवादा जिले में उस व्यक्ति पर हमला हुआ है.
साकिब ने दिप्रिंट से फोन पर कहा, “मैंने तस्वीर देखी और मुझे झटका लगा. वह मेरा बड़ा भाई था.” उन्होंने कहा कि परिवार को ऐसा सदमा लगा है, जिससे वह कभी उबर नहीं पाएगा.
साकिब के भाई मोहम्मद अथर हुसैन, जो चार भाइयों में सबसे बड़े थे, की शुक्रवार को नवादा के एक सरकारी अस्पताल में मौत हो गई. उन पर कथित तौर पर भट्टा गांव के स्थानीय लोगों ने करीब एक हफ्ते पहले हमला किया था.
मौत से कुछ दिन पहले अस्पताल के बिस्तर से रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो बयान में हुसैन ने आरोप लगाया कि चार लोगों ने पहले उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया. वीडियो में, जिसे दिप्रिंट ने देखा है, हुसैन कहते सुने जा सकते हैं, “वे देर रात लौटे और मेरा कपड़ा उतरवाया, ताकि मेरी पहचान कर सकें कि मैं किस धर्म का हूं, कि मैं मियां जी यानी मुस्लिम हूं. फिर उन्होंने मुझ पर पेट्रोल डाला, गर्म लोहे की छड़ से दागा और फिर एक व्यक्ति ने प्लास लेकर मेरा कान काट दिया.”
वह आगे कहते हैं, “मारपीट जारी रही. कुछ लोग डंडों से पीट रहे थे, जबकि कुछ लोग प्लास से मेरी उंगलियां और कान काट रहे थे.”
हुसैन के इस दावे पर कि हमलावरों ने धर्म की पहचान के लिए उन्हें निर्वस्त्र किया, नवादा सदर के अनुमंडल पुलिस अधिकारी हुलास कुमार ने दिप्रिंट से फोन पर कहा कि पीड़ित की पत्नी ने 6 दिसंबर की अपनी पुलिस शिकायत में इस पहलू का जिक्र नहीं किया है.
पटना के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने भी इसे धर्म के आधार पर लिंचिंग का मामला मानने से इनकार किया. उन्होंने इसे “गलत पहचान” का मामला बताया, जिसमें मृतक पर चोरी के शक में हमला किया गया.
हुसैन और उनके हमलावरों के खिलाफ दर्ज एफआईआर के बारे में पूछे जाने पर बिहार के पुलिस महानिदेशक विनय कुमार ने कहा कि दोनों मामलों की जांच की जा रही है और उन्हें तार्किक अंजाम तक पहुंचाया जाएगा. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “चोरी के मामले की भी जांच हो रही है. फोकस ज्यादा लिंचिंग मामले पर है.”
हुसैन पिछले दस वर्षों से नवादा के ग्रामीण इलाकों में साइकिल पर कपड़े बेचने का काम कर रहे थे. उनके पीछे पत्नी और तीन बच्चे हैं.
उनकी मौत के बाद नवादा पुलिस ने एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता की धारा 103 जोड़ी, जो हत्या के अपराध से जुड़ी है.
पुलिस अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है, जिनमें चार वे लोग भी शामिल हैं, जिनके नाम हुसैन की पत्नी शबनम परवीन की शिकायत पर दर्ज एफआईआर में थे.
इन नौ आरोपियों में सिकंदर यादव भी शामिल है, जिसने हुसैन पर चोरी का आरोप लगाया था. उसी के अनुसार उसने दावा किया कि इसी वजह से हमला हुआ. उसके बयान के आधार पर पुलिस ने श्री यादव और रंजन कुमार सहित चार नामजद आरोपियों को गिरफ्तार किया. उनके बयानों के बाद पांच और आरोपियों की गिरफ्तारी हुई, यह जानकारी एसडीपीओ हुलास कुमार ने दी.
दो एफआईआर की कहानी
नवादा पुलिस को 5 दिसंबर की शाम एक पीसीआर कॉल मिली थी. इसमें बताया गया था कि भट्टा गांव में ग्रामीणों ने एक व्यक्ति को चोरी के शक में बंधक बना लिया है. इस गांव में मुस्लिम और यादव समुदाय की मिश्रित आबादी रहती है.
पुलिस सबसे पहले घायल हुसैन को नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गई. इसके बाद उन्हें जिला अस्पताल भेजा गया और फिर पावापुरी स्थित वर्धमान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज भेजा गया. शुक्रवार शाम उन्होंने दम तोड़ दिया.
हमले की जानकारी सामने आने और पुलिस के मौके पर पहुंचने के कुछ ही घंटों बाद भट्टा निवासी सिकंदर यादव ने हुसैन पर अपने घर से सामान चोरी करने का आरोप लगाया. अपनी शिकायत में यादव ने कहा, “05.12.25 को रात करीब 10 बजे हमारे घर में चोरी हुई, जिसमें सोने की चूड़ी, मंगलसूत्र, चांदी की कमरबंद, पीतल का बर्तन और अन्य बर्तन थे. जब मैं गांव पहुंचा तो मेरे भाई सत्यनारायण कुमार और अन्य लोगों ने उसे पकड़ रखा था और लोहे की छड़ से मारा था, जिससे वह घायल हो गया.”
इस शिकायत के आधार पर नवादा पुलिस ने घायल हुसैन के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धाराएं 305, 317(2) और 331(4) के तहत मामला दर्ज किया. ये धाराएं चोरी, चोरी की संपत्ति को रखने या उससे जुड़े होने और अवैध प्रवेश से संबंधित हैं.
इसके तुरंत बाद हुसैन की पत्नी ने सिकंदर यादव, उसके भाई सतीश कुमार और सत्यनारायण कुमार सहित सात अन्य लोगों के खिलाफ जवाबी एफआईआर दर्ज कराई. नवादा पुलिस ने इनके खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धाराएं 190, 191(2), 191(3), 126(2), 115(2), 118(1), 118(2), 117(2), 117(4), 109, 74, 303(2), 352, 351(2) के तहत मामला दर्ज किया.
ये धाराएं गैरकानूनी जमावड़ा, दंगा, घातक हथियार के साथ दंगा, गलत तरीके से रोकना, स्वेच्छा से चोट पहुंचाना, हथियारों से गंभीर चोट पहुंचाना, गंभीर चोट की सजा, भेदभाव से प्रेरित सामूहिक हिंसा, हत्या का प्रयास, महिला की गरिमा भंग करने के इरादे से आपराधिक बल का प्रयोग, चोरी की सजा, शांति भंग करने के इरादे से अपमान और आपराधिक धमकी से जुड़ी हैं.
परवीन ने यह भी आरोप लगाया कि जब वह अपने पति के बारे में पता करने गांव पहुंची तो उनके साथ गाली-गलौज की गई और हमला करने की कोशिश हुई. इसके बाद पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 74 भी जोड़ी. हुसैन की मौत के बाद धारा 103 जोड़ी गई.
परवीन ने पुलिस को दी शिकायत में कहा, “6/12/25 की सुबह मुझे पता चला कि मेरे पति को भट्टा गांव के लोगों ने चोरी का झूठा आरोप लगाकर रात में पकड़ लिया था और बुरी तरह पीटा था. उन्हें लोहे की छड़ से जलाया गया था.”
उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपियों ने “चोरी के बहाने मेरे पति को बांध दिया और बेरहमी से पीटा, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए.”
उन्होंने आगे कहा, “छड़ को गर्म करके उनके शरीर पर दागा गया, उनका हाथ तोड़ दिया गया, फाइलर से उनका कान काट दिया गया और कई अन्य तरीकों से उन्हें प्रताड़ित किया गया. मेरे पति के पास 8,000 रुपये थे, जो उनसे छीन लिए गए.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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