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शुक्रवार, 9 मई, 2025
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देश के जलाशयों में भंडारण राष्ट्रीय स्तर पर सुधारा, लेकिन पूर्वी व उत्तरी क्षेत्रों में कमी

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नयी दिल्ली, नौ मई (भाषा) भारत के प्रमुख जलाशयों में कुल जल भंडारण में पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय सुधार हुआ है, फिर भी कई राज्य जल भंडारण के गंभीर निम्न स्तर की समस्या से जूझ रहे हैं। यह जानकारी शुक्रवार को जारी एक बुलेटिन से मिली है।

केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) द्वारा जारी साप्ताहिक बुलेटिन के अनुसार, देश के 161 प्रमुख जलाशयों में वर्तमान में 57.974 अरब क्यूबिक मीटर (बीसीएम) जल संग्रहण है, जो उनकी कुल क्षमता का 31.78 प्रतिशत है।

यह पिछले वर्ष की इसी अवधि में दर्ज 49.290 बीसीएम से अधिक है तथा दस वर्ष के औसत 50.038 बीसीएम से ज्यादा है।

राष्ट्रीय स्तर पर, वर्तमान भंडारण पिछले वर्ष के स्तर का 117.6 प्रतिशत और सामान्य का 115.9 प्रतिशतहै, जो समग्र सुधार का संकेत है।

मगर पूर्वी क्षेत्र पानी की भारी कमी का सामना कर रहा है। इस क्षेत्र में बिहार, ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य आते हैं। इस क्षेत्र के जलाशय अपनी क्षमता का सिर्फ 27.87 प्रतिशत ही भर पाए हैं, जो पिछले साल के 35.97 प्रतिशत और सामान्य स्तर 34.64 फीसदी से काफी कम है।

ओडिशा के रेंगाली और ऊपरी इंद्रावती जलाशयों, बिहार के बदुआ और चंदन बांधों, तथा मिजोरम के तुइरियल जलाशय में भंडारण की स्थिति बहुत कम बताई गई है, जहां उनके सामान्य भंडारण का मात्र 23.4 प्रतिशत ही है।

उत्तरी क्षेत्र में स्थिति और भी गंभीर है, जहां कुल मिलाकर जलाशय क्षमता का केवल 24.09 प्रतिशत ही दर्ज किया गया है जो पिछले वर्ष 29.5 फीसदी था। इस क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान आते हैं।

हिमाचल प्रदेश के पोंग बांध और पंजाब के थीन बांध में पानी की भारी कमी दर्ज की गई है।

पौंग बांध में भंडारण सामान्य के मुकाबले 40.22 फीसदी तक कम हो गया है और गोबिंद सागर में भंडारण पूर्ण क्षमता का केवल 20.44 प्रतिशत ही है।

सिंधु बेसिन में वर्तमान भंडारण क्षमता केवल 2.831 बीसीएम है – जो इसकी क्षमता 14.819 बीसीएम का केवल 19.1 फीसदी है और यह औसत से 40 प्रतिशत की कमी को दर्शाता है।

यह कमी विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि सिंधु नदी प्रणाली जम्मू कश्मीर, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बड़े हिस्से में सिंचाई, पेयजल और जल विद्युत उत्पादन के लिए अहम है।

महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा वाले पश्चिमी क्षेत्र का प्रदर्शन अपेक्षाकृत बेहतर रहा। क्षेत्र में भंडारण 34.7 फीसदी है। यह पिछले साल के 28.15 फीसदी से अधिक है। गुजरात ने विशेष रूप से सकारात्मक रुझान दिखाया, जहां कुछ जलाशयों में सामान्य भंडारण का 50 फीसदी से अधिक भंडारण दर्ज किया गया।

मध्य भारत में जलाशय अपनी पूर्ण क्षमता के 37.8 फीसदी तक पहुंच गए। इस क्षेत्र में मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड शामिल हैं।

यह पिछले साल के 34.5 प्रतिशत से अधिक है और दस साल के औसत- 30 प्रतिशत से भी ज्यादा है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में तेज वृद्धि देखी गई, जहां गांधी सागर, इंदिरा सागर और बाणसागर जैसे प्रमुख जलाशयों का प्रदर्शन पिछले वर्षों की तुलना में काफी बेहतर रहा।

दक्षिण क्षेत्र के जलाशयों (45) में 28.79 प्रतिशत भंडारण दर्ज किया गया – जो पिछले वर्ष के 15.19 फीसदी से बेहतर है।

भाषा नोमान माधव

माधव

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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