प्रयागराज, 29 अगस्त (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हत्या, हत्या के प्रयास और आगजनी के एक मामले में जौनपुर की एक अदालत द्वारा पूर्व सांसद उमाकांत यादव को दोषी करार देने और उन्हें सुनाई गई सजा पर रोक लगा दी है।
उमाकांत यादव की ओर से दायर एक आपराधिक अपील पर न्यायमूर्ति सिद्धार्थ और न्यायमूर्ति संतोष राय की खंडपीठ द्वारा 27 अगस्त को यह आदेश पारित किया गया। इस आपराधिक अपील में पूर्व सांसद ने 1995 के हत्या, हत्या के प्रयास और आगजनी के मामले में जौनपुर की अदालत द्वारा दोषसिद्धि और सुनाई गई सजा को चुनौती दी थी।
सुनवाई के दौरान, अपीलकर्ता के वकील ने कहा कि उनका मुवक्किल एक राजनीतिक व्यक्ति है और आगामी चुनाव लड़ने की उनकी इच्छा है। वकील ने नवजोत सिंह सिद्धू बनाम पंजाब सरकार और अन्य के मामलों में उच्चतम न्यायालय के निर्णयों का हवाला दिया।
उमाकांत यादव के वकील ने कहा कि अपीलकर्ता राजनेताओं के मामलों में उक्त निर्णयों का लाभ पाने का पात्र है क्योंकि चुनाव लड़ने के इच्छुक इन राजनेता की सजा पर उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक लगाई गई थी।
उन्होंने कहा कि अपीलकर्ता 2004 से 2009 तक सांसद रहे हैं और 1991 से 1993, 1993 से 1996 और 1996 से 2002 तक विधायक रहे हैं।
वहीं दूसरी ओर, राज्य सरकार के वकील ने अपीलकर्ता के वकील की दलीलों का यह कहते हुए विरोध किया कि अपीलकर्ता द्वारा किए गए अपराध की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए वह और किसी तरह की राहत पाने का पात्र नहीं है। उसे पहले ही इस अदालत द्वारा 13 अगस्त, 2025 को जमानत दे दी गई है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2022 में जौनपुर के सत्र न्यायालय ने राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) कांस्टेबल की हत्या और तीन अन्य लोगों को जान से मारने के प्रयास के 27 साल पुराने मामले में मछलीशहर से पूर्व सांसद उमाकांत यादव समेत सात लोगों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
आरोप है कि फरवरी, 1995 में उमाकांत यादव ने अपने समर्थकों के साथ शाहगंज राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) के हवालात से अपने चालक राजकुमार यादव को छुड़ाने के लिए अंधाधुंध गोलीबारी की थी।
इस गोलीबारी में जीआरपी कांस्टेबल अजय सिंह की मृत्यु हो गई थी, जबकि उसका साथी लल्लन सिंह, रेलवे कर्मचारी निर्मल और भरत लाल नाम का एक यात्रा गंभीर रूप से घायल हुए थे। जौनपुर जिले के शाहगंज थाना में पूर्व सांसद के खिलाफ एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया था।
निचली अदालत ने सुनवाई के बाद पूर्व सांसद उमाकांत यादव और छह अन्य को दोषी करार दिया और इन्हें आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत आजीवन कारावास, धारा 307 (हत्या का प्रयास) और अन्य धाराओं के तहत 10 साल की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने हत्या के मामले में पांच लाख रुपये और अन्य मामले में 20,000 रुपये जुर्माना भी लगाया था।
भाषा
राजेंद्र, रवि कांत
रवि कांत
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