नयी दिल्ली, 21 जनवरी (भाषा) नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को घोषणा की कि देश के इस महान सपूत के प्रति आभार के प्रतीक के रूप में इंडिया गेट पर उनकी ग्रेनाइट की एक प्रतिमा लगाई जाएगी।
प्रधानमंत्री की यह घोषणा ऐसे समय में आई है जब इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति की लौ का, राष्ट्रीय समर स्मारक पर जल रही लौ में विलय किए जाने को लेकर केंद्र सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर है।
प्रधानमंत्री ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ऐसे समय में जब देश नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मना रहा है, मुझे आपसे यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि ग्रेनाइट की बनी उनकी एक भव्य प्रतिमा इंडिया गेट पर स्थापित की जाएगी। यह उनके प्रति देश के आभार का प्रतीक होगी।’’
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक नेताजी की ग्रेनाइट की प्रतिमा बनकर तैयार नहीं हो जाती, तब तक उस स्थान पर उनकी एक होलोग्राम प्रतिमा वहां लगाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि इस होलोग्राम प्रतिमा का वह 23 जनवरी को नेताजी की जयंती के अवसर पर लोकार्पण करेंगे।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि नेताजी की ग्रेनाइट की प्रतिमा 28 फुट ऊंची और छह फुट चौड़ी होगी और यह उस मंडप में स्थापित की जाएगी जहां कभी किंग जॉर्ज पंचम की प्रतिमा थी और जिसे 1968 में हटा दिया गया था।
अमर जवान ज्योति की लौ को राष्ट्रीय समर स्मारक पर जल रही लौ के साथ विलय किए जाने को लेकर हो रही आलोचनाओं के मद्देनजर सरकार का बचाव करते हुए आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि अमर जवान ज्योति बुझाई नहीं जा रही है बल्कि उसका राष्ट्रीय समर स्मारक पर प्रज्जवलित ज्योति के साथ विलय किया जा रहा है।
सूत्रों ने कहा कि जिन लोगों ने सात दशकों में कोई राष्ट्रीय समर स्मारक नहीं बनाया, अब वो लोग आज हल्ला मचा रहे हैं, जब शहीदों को एक सच्ची श्रद्धांजलि दी जा रही है।
बाद में प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि बोस की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में वर्ष पर्यंत चलने वाले समारोह के एक भाग के तौर पर नेताजी की प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा। बयान में कहा गया कि 23 जनवरी को आयोजित कार्यक्रम में मोदी, वर्ष 2019, 2020, 2021 और 2023 के लिए ‘सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार’ प्रदान करेंगे।
बयान के अनुसार, समारोह में कुल सात पुरस्कार दिए जाएंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया कि यह पुरस्कार, आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में व्यक्तियों और संगठनों की निस्वार्थ सेवा और अमूल्य योगदान को मान्यता देने के लिए स्थापित किये गए हैं।
‘सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार’ हर साल 23 जनवरी को दिए जाएंगे। बयान में कहा गया कि इस पुरस्कार में संस्थान को 51 लाख रुपये और व्यक्ति को पांच लाख रुपये नकद तथा प्रमाण पत्र दिया जाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय के अनुसार, नेताजी की जयंती को प्रतिवर्ष पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इंडिया गेट पर स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित करने से भारतीयों को राष्ट्रप्रेम, स्वाभिमान और पराक्रम की प्रेरणा मिलेगी।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नयी दिल्ली स्थित इंडिया गेट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगाने के निर्णय का मैं सहर्ष स्वागत करता हूं। यह निर्णय नेताजी की 125वीं जन्म जयंती के अवसर पर कृतज्ञ राष्ट्र द्वारा उनके प्रति सम्मान की राष्ट्रीय अभिव्यक्ति है।’’
उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा लगने से भारत की जनता और भावी पीढ़ियों के मन में राष्ट्रप्रेम, स्वाभिमान और पराक्रम की प्रेरणा जाग्रत होगी तथा देश की आजादी बनाए रखने के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने की भावना प्रज्ज्वलित होगी।
इंडिया गेट पर नेताजी की एक विशाल प्रतिमा स्थापित किये जाने की घोषणा का स्वागत करते हुए सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनिता बोस फाफ ने कहा कि नेताजी भारतीयों के दिलों में रहते थे, रहते हैं और आगे भी रहेंगे।
जर्मनी में रह रहीं अनिता ने संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित एक वेबिनार में कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की भारत की वित्तीय और आर्थिक मजबूती के लिए एक दूरदृष्टि थी और उन्होंने तो यहां तक सोचा था कि देश को आजादी मिलने से पहले ही एक योजना आयोग का गठन कर दिया था।
उन्होंने यह भी कहा कि नेताजी लैंगिक समानता के प्रबल समर्थक थे और उनका सपना एक ऐसे भारत का निर्माण करना था जहां पुरुषों और महिलाओं के न केवल समान अधिकार हों, बल्कि वे समान कर्तव्य भी निभा सकें।
बाद में, जर्मनी से फोन पर उन्होंने पीटीआई-भाषा से बात करते हुए इंडिया गेट पर उनके पिता की प्रतिमा स्थापित किये जाने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया।
अनिता ने कहा, ‘‘मैं इस फैसले से बहुत खुश हूं। यह एक बहुत अच्छा स्थान है। मैं निश्चित रूप से गौरवान्वित महसूस कर रही हूं कि उनकी प्रतिमा इस तरह के एक प्रमुख स्थान पर लगाई जाएगी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इस चीज ने आश्चर्यचकित किया कि यह सब अभी अचानक से हुआ। किसी को पहले से तैयारी करनी हो सकती थी लेकिन नहीं होने से देर होना बेहतर है। मैं उम्मीद करती हूं कि झांकी को लेकर विवाद पर भी संतोषजनक तरीके से विराम लग जाएगा।’’
उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल की झांकी को दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में शामिल नहीं किया गया है। दरअसल, सुभाष चंद्र बोस की 125वीं सालगिरह पर राज्य की प्रस्तावित झांकी में नेताजी और उनकी आजाद हिंद फौज के योगदान को प्रदर्शित किया जाना था।
अनिता ने वेबिनार के दौरान स्वतंत्रता संघर्ष और राष्ट्र निर्माण में नेताजी के योगदान के बारे में भी चर्चा की।
उन्होंने कहा, ‘‘नेताजी भारतीयों के दिलों में रहते थे, रहते हैं और आगे भी रहेंगे। मेरे पिता एक धर्मनिष्ठ हिंदू थे लेकिन वह सभी धर्मों का सम्मान करते थे तथा उन्होंने एक ऐसे भारत का सपना देखा था जिसमें सभी धर्मों का शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व हो।’’
इस बीच, तृणमूल कांग्रेस ने केंद्र के फैसले का स्वागत किया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि गणतंत्र दिवस परेड के लिए नेताजी पर आधारित पश्चिम बंगाल की झांकी को खारिज किए जाने के बाद हो रही आलोचनाओं से ध्यान हटाने के लिए यह कदम उठाया गया है।
तृणमूल ने कहा कि यदि केंद्र सरकार नेताजी के लापता होने के रहस्य को उजागर करने के लिए कदम उठाती तो यह उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होती।
तृणमूल कांग्रेस के प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने कहा, ”चूंकि नेताजी पर आधारित पश्चिम बंगाल की झांकी को खारिज करने से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है, इसलिये केंद्र ध्यान हटाने की कोशिश कर रहा है। इसी कोशिश में नेताजी की प्रतिमा स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। लेकिन हम इस निर्णय का स्वागत करते हैं। साथ ही, हमें लगता है कि यदि केंद्र सरकार नेताजी के लापता होने के रहस्य को उजागर करने के लिए कदम उठाती तो यह उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होती।”
इससे पहले रविवार को मोदी को लिखे एक पत्र में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बोस और उनकी भारतीय राष्ट्रीय सेना पर आधारित राज्य की झांकी को अस्वीकार करने पर “हैरानी” व्यक्त की थी। इसमें रवींद्रनाथ टैगोर, ईश्वरचंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद और श्री अरविंद जैसी अन्य बंगाली हस्तियों को भी जगह दी गई थी।
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि भाजपा नेताजी की विरासत को ‘‘हथियाने’’ की कोशिश कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘नेताजी की 125वीं जयंती पर समारोहों और कार्यक्रमों को तय करने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति बनाई गई थी लेकिन उसमें इसके बारे में कभी कोई चर्चा नहीं की गई। चूंकि नेताजी को लेकर विवाद हो गया था, इसलिए उसके जवाब में भाजपा ने यह रास्ता अख्तियार किया।
अमर जवान ज्योति की स्थापना उन भारतीय सैनिकों की याद में की गई थी, जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद हुए थे। इस युद्ध में भारत की विजय हुई थी और बांग्लादेश का गठन हुआ था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 26 जनवरी 1972 को इसका उद्घाटन किया था।
भाषा यश नरेश
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