कोच्चि, 10 मार्च (भाषा) कोविड-19 के लिए की जाने वाली आरटी-पीसीआर और रैपिट एंटीजन जांच की दरों को घटाकर क्रमश: 300 रुपये और 100 रुपये करने के एलडीएफ सरकार के फैसले का समर्थन करते हुए केरल उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि महामारी जैसी स्थिति पैदा होने पर ‘‘राज्य मूक दर्शक बना नहीं रह सकता है।’’
अदालत ने कहा कि राज्य जब कोविड महामारी से जूझ रहा था तो उसने आम लोगों को परेशान ना होना पड़े यह सुनिश्चित करने के लिए तमाम कदम उठाए।
न्यायमूर्ति पी. वी. कुन्हीकृष्णन ने कहा, ‘‘ऐसी परिस्थिति में सरकार ने (कोविड-19) जांच की दरों (कीमत) को नियंत्रित करने के लिए कुछ कोकदम उठाए।’’
न्यायमूर्ति ने कहा कि वह ‘ससम्मान’ उच्च न्यायालय के पिछले आदेश से इत्तेफाक नहीं रख सकते हैं कि राज्य को जांच की दर तय करने का अधिकार नहीं है।
न्यायमूर्ति कुन्हीकृष्णन ने कहा कि इसलिए मामले पर फैसला बड़े पीठ द्वारा किए जाने की जरूरत है। इस टिप्पणी के साथ उन्होंने मामले को मुख्य न्यायाधीश के पास भेज दिया ताकि वह इसके लिए उचित पीठ तय कर सकें।
न्यायमूर्ति ने कहा, ‘‘इस मामले पर खंड पीठ द्वारा गहन विचार किए जाने की जरूरत है।’’
राज्य में पहले आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन जांच की दर क्रमश: 500 रुपये और 300 रुपये हुआ करती थी, लेकिन सरकार ने नौ फरवरी से इन्हें कम करके क्रमश: 300 रुपये और 100 रुपये कर दिया।
भाषा अर्पणा उमा
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