नई दिल्ली: यह स्टार्टअप युग है..अगर आपका आइडिया क्लिक कर गया तो आप चंद महीनों में करोड़पति हो जाएंगे और आपकी कंपनी देखते देखते करोड़ों का टर्नओवर देने लगेगी.
कुछ ऐसा ही हुआ दरभंगा के मजाज़ हसन के साथ. जब भी मां मजाज़ से बाजार से मीट, मछली या फिर कुछ भी लाने के लिए कहती तो अड़ोस-पड़ोस की आंटी अंकल भी उसे जाता देख कुछ न कुछ लाने की डिमांड कर देते. हालांकि डोर स्टेप सामान पहुंचाने का प्रचलन शहरों में और महानगरों में तो पुराना हो गया है लेकिन बिहार में खास कर यहां के छोटे शहरों में यह प्रचलन न के बराबर है. यहां से 19 साल के छोटे से मजाज़ के दिमाग की बत्ती जली और उसने देखते देखते परिवार से छुपाकर एक कंपनी शुरू कर दी. मजाज़ घर दरभंगा से पटना गए तो पढ़ाई करने यानी इंजीनियरिंग की तैयारी करने लेकिन वहां उन्होंने एक एप बना दिया और देखते ही देखते महज दो सालों में फ्रेशशार्फ की वैल्यूएशन $1 मिलियन से ज्यादा की हो गई है.
सिर्फ 2600 रुपये के साथ कंपनी ‘फ्रेशशार्प’ शुरू करने वाले मजाज़ हसन की मेहनत ने उनके इस स्टार्टअप को $125000 का सीड फंड दिलवाया है, जिसके साथ ही उनके कंपनी की वैल्यूएशन $1 मिलियन से ज्यादा की हो गई है. फ्रेशशार्प, बिहार स्थित एक स्टार्टअप है जो फ्रेश मीट, सी फूड और अन्य फ्रेश एनिमल प्रोटीन को ऑनलाइन बेचता है.
‘फ्रेशशार्प’ को प्रमुख इन्वेस्टर ओके एक्वायर्ड (कॉरपोरेट ऋण देने वाली वित्तीय सेवा कंपनी) से इक्विटी के रूप में $125000 का सीड फंड मिला हैं.
ज्यादातर स्टार्टअप रेवेन्यू मॉडल बनाने के बजाय फंडिंग पर ध्यान देते हैं. लेकिन इसके विपरीत, फ्रेशशार्प ने सिर्फ अपने रेवेन्यू मॉडल को मज़बूत करने पर काम किया और यही कारण है कि इसने इन्वेस्टर्स को इतनी बड़ी फंडिंग के लिए आकर्षित किया.
फ्रेशशार्प के फाउंडर मजाज़ कहते हैं, “12th के बाद में आईआईटी की तैयारी कर रहा था, लेकिन मुझसे वो हुआ नहीं और मैं न थोड़ा आलसी भी था इसी चक्कर में हर वीकेंड को मेरे घरवाले मुझे चिकन लेने भेज देते थे. जिसकी दुकान मेरे घर से लगभग तीन किमी दूर थी. अब लाइफ में कुछ तो करना ही था तो मैं इसके लिए आसपास आइडियाज भी ढूंढ़ता रहता था और जब मुझे चिकन दिखा तो मुझे लगा अगर काम करना ही है तो चिकन को ही पेशा क्यों नहीं बना सकते.”
फ्रेशशार्प को कल यानी 26 अप्रैल को शुरू किए पूरे दो साल हो गए. इसके साथ ही कंपनी ने सिर्फ 2022-23 में ही 1.5 करोड़ का टर्नओवर किया हैं.
मजाज़ ने अपनी कंपनी के दो साल पूरे होने पर इसकी खुशी जताई और केक काटकर इस दिन को सेलिब्रेट किया.
फ्रेशशार्प न केवल अपने कस्टमर्स को ताज़ा एवं रसायन मुक्त नॉन-वेज आइटम उपलब्ध कराता है, साथ ही यह मार्केट में छोटे व्यापारियों के साथ एक चेन भी तैयार करता हैं. जिससे मार्केट में सबको आगे बढ़ने और विकास करने का समान अवसर मिलता है.
मजाज़ कहते हैं कि अगर हम चिकन की इंडस्ट्री देखें तो यह बहुत ही अनओर्गनाइज़्ड है, आपको हमेशा फ्रेश और अपने मुताबिक चिकन या मीट नहीं मिल पता है. और ये मार्किट ज्यादार ओपन एरिया में होता है जो बहुत ही अनहाइजेनिक होता है इसलिए मैंने सोचा क्यों न इसे ही अपना प्रोफेशन बनाया जाए और लोगो को एनिमल फ़ूड डिलिवरी का एक फ्रेश विकल्प दिया जाए.
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दोस्तों और रिश्तेदारों के ताने
बिहार, दरभंगा के हसन एक मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं, उनके परिवार का किसी भी तरह का कोई बिजनेस बैकग्राउंड नहीं है. उन्होंने फ्रेशशार्प की शुरुआत अपने इंजीनियरिंग के एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी के दौरान किया था.
हसन ने 19 साल की उम्र में अपना ये स्टार्टअप शुरू किया था, जिस दौरान उन्हें अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से इस बात के लिए ताने पड़ते थे कि इतना पढ़-लिखकर चिकन बेचने का काम कर रहा है. हसन ने बताया कि उन्होंने अपना पहला ऑर्डर अपने घर से तीन किमी दूर पैदल चलकर पूरा किया था जिसके लिए उन्हें केवल पांच रुपये मिले थे.
अपनी राजनीतिक हलचल और देश को सबसे ज्यादा आईएएस और आईपीएस देने वाला बिहार अब अपने कदम इंटरप्रेन्योर की संख्या बढ़ाने में लगा है. बिहार सरकार ने 2017 में अपनी संशोधित स्टार्टअप नीति शुरू की थी, जिसका मकसद राज्य के युवाओं को अपने कला का प्रयोग कर स्टार्टअप के लिए प्रोत्साहित करना हैं.
दिप्रिंट से बातचीत में हसन ने बताया कि ईद के दौरान मिलने वाली ईदी को वो हमेशा बचाकर रखते थे और फिर उन पैसों को ही अपने स्टार्टअप पर इन्वेस्ट करते थे.
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कई मुश्किलें आई
मज़ाज को इस सफर के दौरान कई मुश्किलों और रुकावटों का सामना करना पड़ा. पहले तो इंजीनियरिंग छोड़कर बिज़नेस करने के लिए घरवालों को मनाना ही एक बड़ी चुनौती थी, ऊपर से परिवार चिकन बेचने जैसे किसी काम को करने के सख्त खिलाफ ही थे.
उन्होंने घरवालों को तो जैसे-तैसे मना लिया लेकिन किसी भी तरह के बिज़नेस या फिर स्टार्टअप को शुरू करने में छोटे शहर में सबसे बड़ी परेशानी होती हैं एक टीम बनाना. उन्हें टीम तैयार करने में काफी दिक्कतें आई, लेकिन आज हमारी टीम में 10 टीम मेंबर्स और 15 कर्मचारी हैं.
हसन का कहना है कि अपने स्टार्टअप के लिए फंडिंग कंपनी ढूंढ़ना भी स्टार्टअप बिल्ड करने के सामने एक बड़ी चुनौती है.
मज़ाज ने कहा, “हमें $125000 की सीड फंडिंग तब मिली जब हमने इसके लिए अप्रोच तक नहीं किया था. हम बहुत समय पहले अपने इन्वेस्टर और एक्वायर्ड के एमडी सुजीत से फेसबुक पर से मिले थे. हमने उनसे फ्रेशशार्प पर चर्चा की, जिसके बाद उन्होंने हमारा मार्गदर्शन किया और बताया कि इस बाजार में पहले से ही कई खिलाड़ी मौजूद हैं. छः महीने बाद जब हम फिर मिले, तो हमने अपनी ग्रोथ और क्लाइंट बेस दिखाया, जिसके बाद उन्होंने हमसे फंडिंग के बारे में पूछा.”
मां सबसे बड़ी सपोर्टर
हम जब भी अपनी जिंदगी में कोई अलग या फिर नया फैसला लेते हैं तो उस वक़्त चाहे कोई हमारा साथ दे या न दे लेकिन एक ऐसा इंसान जरूर होता है जो हमारे पूरे जर्नी में हमारा साथ देता है, हमें सपोर्ट करता है. मिज़ाज के इस स्टार्टअप को शुरू करने से लेकर अब तक उनकी सबसे बड़ी सपोर्टर उनकी मां रही हैं.
मजाज़ बताते हैं कि जब उन्होंने घर में चिकन से जुड़े इस स्टार्टअप को शुरू करने की बात कही थी तो उनकी मां ने तो सपोर्ट किया लेकिन और किसी का साथ नहीं मिला. यहां तक की उनकी मां ने अपने थोड़े बहुत बचत के पैसे भी उन्हें दे देती थी.
हसन ने कहा “मैं एक मामूली मिडिल क्लास फैमिली से आता हूं, मेरे पिता मेंटली चैलेंज्ड पेशेंट हैं और मेरी मां एक सरकारी हाई स्कूल क्लर्क का काम करती हैं. आज हमारा स्टार्टअप जहां भी उसमें मेरी मां का सबसे ज्यादा सपोर्ट और योगदान रहा है.”
फ्रेशशार्प अभी बिहार के कुछ बड़े शहरों समेत पश्चिम बंगाल के कोलकाता में काम कर कर रहा है. मज़ाज ने कहा कि उनके स्टार्टअप को आगे ले जाने का अगला पॉइंट दिल्ली होगा.
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