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Sunday, 3 November, 2024
होमदेशभीमा कोरेगांव के आरोपियों के परिजनों ने कहा- 'अमानवीय शासनतंत्र द्वारा संस्थागत हत्या' है स्टेन स्वामी की मौत

भीमा कोरेगांव के आरोपियों के परिजनों ने कहा- ‘अमानवीय शासनतंत्र द्वारा संस्थागत हत्या’ है स्टेन स्वामी की मौत

वरिष्ठ आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्वामी (84) की सोमवार को मुंबई के होली फैमिली अस्पताल में मौत हो गई जहां उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद 29 मई को भर्ती कराया गया था.

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नई दिल्ली: 2018 में हुए भीमा-कोरेगांव हिंसा के आरोपियों के परिजनों ने कहा कि फादर स्टेन स्वामी जिन्हें कथित तौर पर माओवादियों के साथ संपर्क के चलते इस मामले में पिछले साल हिरासत में लिया गया था, उनकी मौत ‘संस्थागत हत्या’ है.

मंगलवार को एक बयान में 15 आरोपियों के परिवार वालों ने कहा, ‘यह सामान्य मौत नहीं है बल्कि एक अमानवीय राज्य द्वारा एक अच्छे और सभ्य इंसान की संस्थागत हत्या है.’

वरिष्ठ आदिवासी अधिकार कार्यकर्ता स्वामी (84) की सोमवार को मुंबई के होली फैमिली अस्पताल में मौत हो गई जहां उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद 29 मई को भर्ती कराया गया था. वो पार्किंसंस बीमारी से ग्रसित थे और उन्हें कोविड भी हुआ था.

अक्टूबर 2020 को एनआईए ने उन्हें हिरासत में लिया था और वो महाराष्ट्र के तलोजा जेल में कैद थे.

बयान में कहा गया, ‘झारखंड में आदिवासियों के बीच जिंदगी गुजारने वाले, उनके लिए संसाधनों और भूमि की लड़ाई लड़ने वाले फादर स्टेन, अपने प्यारे झारखंड से दूर और प्रतिशोधी राज्य द्वारा झूठे तरीके से कैद कर, इस तरह मरने के हकदार नहीं थे.’

कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और अकादमिकों को 31 दिसंबर 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में एल्गार परिषद के कार्यक्रम में कथित तौर पर विवादास्पद भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. ये कार्यक्रम अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में महारों की जीत के 200 साल पूरे होने पर आयोजित किया गया था.

अभी तक इस मामले में स्वामी को मिलाकर 16 लोगों को हिरासत में लिया जा चुका है. इसमें ज्योति राघोबा जगतप, सागर तात्याराम गोरखे, रमेश मुरलीधर गाइचोर, सुधीर धवाले, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, शोमा सेन, रोना विल्सन, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, वरवरा राव, वर्नन गोंसाल्वेस, आनंद तेलतुम्बडे, गौतम नवलखा और हनी बाबू शामिल हैं.

राव को इस साल की शुरुआत में मेडिकल जमानत पर रिहा किया गया था, जबकि अन्य अभी भी जेल में हैं. मामले के अधिकांश आरोपियों का नाम न तो एफआईआर में था और न ही वे भीमा कोरेगांव में मौजूद थे जब 31 दिसंबर 2017 को हिंसा हुई थी.

बयान पर स्वामी के दोस्त फादर जो जेवियर के अलावा राव और 14 अन्य आरोपियों के परिवार के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं.


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‘लापरवाह जेलें, उदासीन अदालतें’

बयान में परिवार के सदस्यों ने कहा कि वो इस मौत के लिए स्पष्ट तौर पर अथोरिटीज़ को जिम्मेदार ठहराते हैं. उन्होंने कहा, ‘फादर स्टेन स्वामी के जाने से जहां हम दुखी हैं वहीं इसके लिए हम स्पष्ट तौर पर लापरवाह जेलों, उदासीन अदालतों और दुर्भावनापूर्ण एजेंसियों को इस दुर्भाग्यपूर्ण मौत के लिए जिम्मेदार मानते हैं.’

उन्होंने कहा कि ‘इस महामारी के बीच एक उम्रदराज और खराब सेहत वाले व्यक्ति को जेल में बंद करके रखा गया.’

बयान में अदालत पर भी आरोप लगाए गए हैं कि उसने उनकी खराब सेहत को बार-बार नजरअंदाज किया. ‘फादर स्टेन के स्वास्थ्य की उपेक्षा उनके जेल में रहने के बाद भी जारी रही, जब उन्हें जेल में एक स्ट्रॉ और सिपर कप की भी अनुमति नहीं दी गई. यहां तक ​​​​कि इस तरह के बुनियादी चीज़ के लिए भी उन्हें अदालत का रुख करना पड़ा, जिसके चलने की गति पहले से ही मंद थी.’

इसमें कहा गया, ‘जेल में जब उनकी सेहत खराब होने लगी तब उनकी मेडिकल बेल को भी असंवेदनशील एनआई कोर्ट ने खारिज कर दिया. यहां तक ​​कि जेल में उनकी कोविड बीमारी का भी पता नहीं चला था और हाई कोर्ट के आदेश पर उन्हें अस्पताल ले जाने के बाद ही इसका पता लगाया जा सकता था.’

इसमें स्वामी के जेल में रहते हुए अंतिम समय का भी जिक्र किया गया है जब उन्होंने रांची में अपने लोगों के बीच मरने की अनुमति मांगी थी. बयान में कहा गया, ‘यह भयावह है कि हमारी न्यायिक व्यवस्था ऐसी सामान्य अनुमति भी नहीं दे सकी.’

आरोपियों के परिवार के सदस्यों ने कहा कि वे जेल में बंद बाकी लोगों के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंतित हैं. उन्होंने कहा, ‘हम अपने परिवार के सदस्यों और साथियों के स्वास्थ्य और जिंदगी के लिए चिंतित हैं जो गैर-जिम्मेदाराना व्यवस्था के तहत उसी जेल में इसी तरह के अन्याय को झेल रहे हैं.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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