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शुक्रवार, 18 अप्रैल, 2025
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स्टालिन ने केंद्र पर हमला तेज किया, राज्य की स्वायत्तता पर उच्च स्तरीय समिति की घोषणा की

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(तस्वीरों के साथ)

चेन्नई, 15 अप्रैल (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने राज्य की स्वायत्तता पर उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने की मंगलवार को घोषणा करते हुए आरोप लगाया कि केंद्र द्वारा राज्यों के अधिकारों को धीरे-धीरे छीना जा रहा है।

स्टालिन ने तमिलनाडु विधानसभा में बयान देते हुए कहा कि उच्च स्तरीय समिति की स्थापना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सरकार के उस ‘ऐतिहासिक’ राज्य स्वायत्तता प्रस्ताव के आधी सदी पूरे होने के अवसर पर की गई, जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि ने तमिलनाडु विधानसभा में पेश किया था। उन्होंने कहा कि यह समिति गठित करने का उद्देश्य आज के संदर्भ में राज्य स्वायत्तता के सिद्धांतों पर फिर से जोर देना है।

उन्होंने विधानसभा में दावा किया कि यह कदम राज्यों के ‘वैध अधिकारों’ की रक्षा करने और केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच संबंधों को बेहतर बनाने के लिए उठाया गया है।

इस दौरान ‘ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम’ (अन्नाद्रमुक) के एक अन्य मामले पर सदन के बहिर्गमन करने के बाद स्टालिन ने अन्नाद्रमुक के नेतृत्व की आलोचना की।

अन्नाद्रमुक विधायकों ने विधानसभा में राज्य के तीन मंत्रियों से संबंधित मुद्दे उठाने का असफल प्रयास किया और उन्हें बोलने की कथित तौर पर अनुमति नहीं मिलने पर उन्होंने अध्यक्ष एम. अप्पावु का विरोध करते हुए सदन से बहिर्गमन कर दिया।

अन्नाद्रमुक के विपक्ष के उपनेता आर बी उदयकुमार ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा कि उनकी पार्टी ने वन मंत्री के. पोनमुडी द्वारा महिलाओं के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी तथा नगर प्रशासन मंत्री के एन नेहरू और विद्युत एवं निषेध मंत्री वी सेंथिल बालाजी से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय के छापों पर चर्चा करने के लिए अध्यक्ष को नोटिस दिया था।

उदयकुमार ने कहा, ‘‘लेकिन अध्यक्ष ने हमारे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। इसलिए हमें विरोध में बहिर्गमन करना पड़ा।’’

अन्नाद्रमुक के बहिर्गमन के बाद स्टालिन ने कहा कि द्रमुक के साथ मतभेदों के बावजूद अन्नाद्रमुक के दिवंगत मुख्यमंत्रियों एम जी रामचंद्रन एवं जे जयललिता ने राज्य के अधिकारों पर कभी समझौता नहीं किया।

स्टालिन ने हाल में विपक्षी पार्टी द्वारा भारतीय जनता दल (भाजपा) के साथ गठबंधन किए जाने का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘लेकिन अब वे (अन्नाद्रमुक) कहते हैं कि सिद्धांत और गठबंधन अलग-अलग हैं…सवाल यह है कि उनका रुख क्या है।’’

अन्नाद्रमुक ने समिति गठन की घोषणा को लेकर मुख्यमंत्री की आलोचना की और पूछा कि उनकी द्रमुक इतने सालों तक क्या कर रही थी।

अन्नाद्रमुक ने आरोप लगाया कि इस कदम का उद्देश्य राज्य सरकार की विफलताओं से जनता का ध्यान भटकाना है।

स्टालिन ने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार पर हमला करते हुए कहा कि उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति राज्य की स्वायत्तता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच संबंधों की विस्तार से समीक्षा करेगी। यह समिति जनवरी 2026 में अपनी अंतरिम रिपोर्ट पेश करेगी। सिफारिशों के साथ अंतिम रिपोर्ट दो साल में पेश की जाएगी।

समिति में पूर्व नौकरशाह अशोक वर्धन शेट्टी और राज्य योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष एम नागनाथन सदस्य होंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समिति कानून के अनुसार, उन विषयों को स्थानांतरित करने के लिए अध्ययन करेगी, जो पहले राज्य सूची में थे लेकिन समवर्ती सूची में शामिल कर दिए गए थे।

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) राज्यों के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। राज्य सरकार नीट के दायरे से छूट की मांग कर रही है। पिछले कुछ सालों में मेडिकल की पढ़ाई के इच्छुक कई छात्रों ने या तो प्रवेश परीक्षा में असफल रहने के कारण या फिर इसे पास न कर पाने की आशंका से आत्महत्या कर ली है।

स्टालिन ने तमिलनाडु विधानसभा में कहा, ‘‘हम केवल तमिलनाडु के कल्याण को ध्यान में रखते हुए सत्ता और धन के हस्तांतरण पर जोर नहीं दे रहे हैं, बल्कि गुजरात से लेकर पूर्वोत्तर भागों और कश्मीर से लेकर केरल तक फैले देश के विशाल क्षेत्र के लोगों के हितों को ध्यान में रख रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘राज्य की स्वायत्तता पर चर्चा में तमिलनाडु की आवाज सबसे पहले उठेगी।’’

स्टालिन ने कहा कि उक्त समिति के गठन के फैसले का उद्देश्य उन सभी भारतीय राज्यों के अधिकारों की रक्षा करना है, जो विविधता में एकता के आधार पर काम करते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘जब ‘एरु तझुवुथल (जल्लीकट्टू के समान)’ जैसी सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने का प्रयास किया गया तो दुनिया भर के तमिलों ने अपना विरोध जताया। हमारा अनुरोध है कि मणिपुर और नगालैंड जैसे पूर्वोत्तर राज्यों के सांस्कृतिक लोकाचार को भी उचित सम्मान दिया जाना चाहिए।’’

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यह सच है कि जहां हम अपनी मातृभाषा तमिल की रक्षा के लिए सभी कदम उठा रहे हैं, वहीं हम भारत के अन्य भागों में भाषाओं के अपने मूल स्वरूप को खोने के बारे में भी उतने ही चिंतित हैं।’’

विधानसभा में भाजपा के चार विधायकों ने ‘‘राज्य की स्वायत्तता को बढ़ावा देने’’ वाले किसी भी कदम का विरोध किया और सदन से बहिर्गमन कर दिया। विपक्षी अन्नाद्रमुक ने भी विधानसभा से बहिर्गमन किया।

अन्नाद्रमुक ने पूछा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के साथ सत्ता साझा करने वाली द्रमुक ने इतने सालों में इस मामले पर क्या किया है।

अन्नाद्रमुक के विपक्ष के उपनेता आर बी उदयकुमार ने विधानसभा के बाहर संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह केवल लोगों का ध्यान भटकाने के लिए है। आधी सदी पहले स्टालिन के पिता एम करुणानिधि ने भी इसी तरह की दलील दी थी, लेकिन द्रमुक ने राज्य की स्वायत्तता पर बहुत कम काम किया है। यह 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले द्रमुक की केवल ध्यान भटकाने की रणनीति है।’’

भाषा सिम्मी दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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