चेन्नई, 25 मार्च (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने कथित रूप से भाषा थोपने और वित्तीय अन्याय को लेकर मंगलवार को केंद्र की आलोचना की और सटीक पहल के जरिए इस मुद्दे का हमेशा के लिए समाधान करने की वकालत की। उन्होंने कहा कि वह इस संबंध में जल्द ही घोषणा करेंगे।
स्टालिन ने विधानसभा में भाषा नीति पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि तमिलनाडु सरकार उन विधायकों से पूरी तरह सहमत है जिन्होंने द्वि-भाषा नीति का दृढ़ता से समर्थन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘तमिलनाडु की द्वि-भाषा नीति में तमिल और अंग्रेजी दो भाषाएं हैं। इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा कि चाहे कुछ भी हो जाए, इसमें कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
स्टालिन ने अपने हालिया बयान की भी याद दिलाई कि ‘‘यदि केंद्र हिंदी सीखने के लिए धनराशि जारी करता है, तो हमें उस पैसे की आवश्यकता नहीं है; हम तमिल भाषा की रक्षा करेंगे। 2,000 करोड़ रुपये क्यों? केंद्र 10,000 करोड़ रुपये भी दे तो हम 3-भाषा नीति को स्वीकार नहीं करेंगे। मैंने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया है।’’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘मैं दोहराता हूं; यह धन/कोष से संबंधित मुद्दा नहीं है; यह हमारे समाज (तमिल लोगों द्वारा सामना की जाने वाली जातीयता/समस्या) के समक्ष एक समस्या है। यह हमारे युवाओं, छात्रों, तमिल जाति और तमिल भाषा की सुरक्षा से संबंधित मुद्दा है।’’
उन्होंने याद दिलाया कि 23 जनवरी 1968 को सदन में द्वि-भाषा नीति का प्रस्ताव पारित किया गया था, जब सी एन अन्नादुरई मुख्यमंत्री थे। उन्होंने कहा कि यह नीति अन्नादुरई की देन थी।
स्टालिन ने कहा, ‘‘हम किसी भाषा के खिलाफ नहीं हैं। हमारा कहना है कि ये दो भाषाएं पर्याप्त हैं।’’ उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी भाषा को सीखने के इच्छुक व्यक्ति के लिए बाधा उत्पन्न नहीं करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम किसी ऐसी वर्चस्ववादी भाषा की भी अनुमति नहीं देते जो तमिल को नष्ट करने का इरादा रखती हो। इसीलिए हम दो-भाषा नीति का पालन करते हैं।’’
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के पड़ोसी राज्यों सहित कई राज्यों को अब एहसास हो गया है कि तमिलनाडु की भाषा नीति और उसका पालन करने की प्रतिबद्धता सही है।
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘हिंदी भाषा को थोपना सिर्फ एक भाषा को थोपना नहीं है; यह संस्कृति का विनाश होगा, इसीलिए हम दृढ़ हैं। भाषा थोपने के माध्यम से वे राज्यों, राज्यों की भाषाओं और एक समाज पर हावी होने की कोशिश कर रहे हैं। इस मुद्दे पर पूरी तरह से विराम लग जाना चाहिए। वे भाषा थोपकर और वित्तीय अन्याय कर रहे हैं क्योंकि वे राज्यों को अपने बंधुआ गुलामों का क्षेत्र मानते हैं।’’
स्टालिन ने कहा, ‘‘इसलिए, भारत के संघवाद की रक्षा करने और राज्य की स्वायत्तता हासिल करने के लिए, हमें सटीक पहल करने की मजबूरी है।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि तमिल भाषा की रक्षा की जा सकती है और तमिल लोगों का विकास तभी हो सकता है जब राज्य की स्वायत्तता सुनिश्चित की जाए और राज्य के अधिकार स्थापित किए जाएं। स्टालिन ने कहा कि वह जल्द ही इस संबंध में घोषणा करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विपक्ष के नेता के पलानीस्वामी दिल्ली गए हैं और अपनी यात्रा के दौरान उन्हें भाषा नीति का मुद्दा उठाना चाहिए।
इससे पहले, इस मुद्दे पर चर्चा की शुरुआत करते हुए द्रमुक विधायक एन एजिलन ने कहा कि आधिकारिक भाषा नियम 1976 तमिलनाडु की दो-भाषा नीति का समर्थन करता है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि तमिलनाडु राज्य को नियमों के इस्तेमाल से छूट दी गई है।
भाषा आशीष रंजन
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