चेन्नई, 16 फरवरी (भाषा) तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और तीन भाषा फार्मूले के संबंध में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बयान की आलोचना की।
उन्होंने प्रधान पर कथित तौर पर यह रुख अपनाने के लिए ‘‘ब्लैकमेल’’ करने का आरोप लगाया कि राज्य को तब तक धनराशि उपलब्ध नहीं कराई जाएगी, जब तक वह एनईपी और तीन भाषा फार्मूले को स्वीकार नहीं कर लेता।
स्टालिन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में 15 फरवरी को वाराणसी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए प्रधान के एक वीडियो क्लिप को टैग किया। वीडियो में प्रधान यह कहते हुए दिखे कि तमिलनाडु को भारतीय संविधान की शर्तों को मानना होगा और तीन भाषा नीति ही कानून का शासन है।
मुख्यमंत्री ने प्रधान के इस रुख को अस्वीकार्य बताया और कहा कि तमिल लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे। स्टालिन ने कहा कि राज्य ने केंद्र से अपना हक मांगा है, जो उसका अधिकार है, लेकिन केंद्रीय मंत्री अहंकार से बात करते हैं जैसे कि राज्य उनकी निजी संपत्ति पर दावा कर रहा है।
स्टालिन ने कहा कि प्रधान को संवैधानिक प्रावधान को स्पष्ट करना चाहिए जो अंग्रेजी, संबंधित क्षेत्रीय भाषा और हिंदी की त्रिभाषा नीति को अनिवार्य बनाता है।
उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन और सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के सहयोगी दलों कांग्रेस और वीसीके ने भी प्रधान की आलोचना की।
मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने दो भाषा नीति के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि पार्टी सत्ता में हो या न हो, वह अपनी घोषित नीति से कभी पीछे नहीं हटेगी।
अन्नाद्रमुक महासचिव और विपक्ष के नेता के. पलानीस्वामी ने वेल्लोर में अपनी पार्टी द्वारा आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य को शिक्षा के मद में धनराशि जारी करने के लिए एनईपी और तीन भाषा मानदंड के कार्यान्वयन पर केंद्र का जोर ठीक नहीं है।
स्टालिन के बयान पर प्रतिक्रिया जताते हुए भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने सवाल किया कि राज्य के सरकारी स्कूलों में बच्चों को तमिल, अंग्रेजी और एक अन्य भारतीय भाषा क्यों नहीं पढ़ाई जानी चाहिए, जब मुख्यमंत्री और मंत्रियों के बच्चों या पोते-पोतियों को निजी स्कूलों में तीन भाषाएं पढ़ाई जा सकती हैं।
प्रधान ने आरोप लगाया है कि द्रमुक नीत सरकार राजनीतिक कारणों से एनईपी पर सहमति नहीं दे रही है। मंत्री ने कहा, ‘‘उन्हें एनईपी को अक्षरशः स्वीकार करना होगा।’’
भाषा आशीष नरेश
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