नयी दिल्ली, 20 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टुअर्ट स्टेन्स और उनके दो बेटों की नृशंस हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे रवींद्र पाल उर्फ दारा सिंह की कैद की अवधि घटाने संबंधी याचिका पर मंगलवार को ओडिशा सरकार से जवाब मांगा।
दारा सिंह के नेतृत्व में एक भीड़ ने स्टेन्स और उनके दो बेटों – फिलिप (11) और टिमोथी (8) पर उस समय हमला किया था, जब वे अपने वाहन में सो रहे थे। 22-23 जनवरी 1999 की दरम्यानी रात क्योंझर जिले के मनोहरपुर गांव में भीड़ ने उनकी गाड़ी को आग लगा दी थी।
सिंह ने राज्य की एक जेल से अपनी समयपूर्व रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सजा की अवधि घटाने की अधिक उदार नीति लागू करने की मांग की है। वह 24 वर्षों से अधिक समय से जेल में बंद है।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राज्य सरकार से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगते हुए कहा कि अपराध बहुत गंभीर प्रकृति का है।
पीठ ने दोषी की ओर से पेश हुए वकील विष्णु शंकर जैन की इन दलीलों पर गौर किया कि इस मामले में सजा की अवधि घटाने की अधिक उदार नीति लागू की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सिंह पहले ही 24 साल और छह महीने की सजा काट चुका है।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने नोटिस जारी किया है और दो हफ्तों में जवाब मांगा है।’’
इस तिहरे हत्याकांड के मुख्य आरोपी दारा सिंह को 2003 में सीबीआई अदालत ने दोषी करार दिया था और फांसी की सजा सुनाई थी। उड़ीसा उच्च न्यायालय ने 2005 में उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था और 2011 में उच्चतम न्यायालय ने इसे बरकरार रखा था।
दारा सिंह का एक सहयोगी महेंद्र हेम्ब्रम भी इस मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है, जबकि 11 अन्य आरोपियों को उच्च न्यायालय ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
स्टेन्स और उनकी पत्नी ग्लेडिस, मयूरभंज इवेंजेलिकल मिशनरी संगठन के साथ काम करते थे और कुष्ठ रोगियों की देखभाल करते थे।
वर्ष 2005 में पद्मश्री से सम्मानित ग्लेडिस ने कहा था कि उन्होंने अपने पति और बेटों के हत्यारों को माफ कर दिया है और उनके प्रति उनके मन में कोई कड़वाहट नहीं है।
शीर्ष अदालत की एक दूसरी पीठ भी सिंह की इसी तरह की राहत के अनुरोध वाली एक अन्य याचिका पर विचार कर रही है।
भाषा सुभाष पवनेश
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