नई दिल्ली: श्रीलंका की जमीन का इस्तेमाल “भारत के लिए ग़लत तरीके से नहीं किया जाएगा,” यह भरोसा श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में दिया. यह बयान तब आया है जब भारत, श्रीलंका के बंदरगाहों पर चीनी जहाजों के ठहरने और हिंद महासागर में उनकी गतिविधियों को लेकर चिंता जता रहा है.
दिसानायके 15 दिसंबर से 17 दिसंबर तक भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर हैं. यह उनकी पहली विदेश यात्रा है. सितंबर में राष्ट्रपति पद संभालने वाले दिसानायके की पार्टी नेशनल पीपल्स पावर ने नवंबर में संसद में भारी बहुमत के साथ जीत हासिल की थी.
पिछले साल दिसंबर में, कोलंबो ने भारत की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए 1 जनवरी 2024 से एक साल के लिए अपने बंदरगाहों पर किसी भी शोध जहाज को रुकने की अनुमति देने पर रोक लगा दी थी.
चीनी शोध जहाजों द्वारा जुटाई गई जानकारी का उपयोग नागरिक और सैन्य, दोनों उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है. अक्टूबर 2023 में, चीनी शोध जहाज “शियान 6” ने कोलंबो बंदरगाह का दौरा किया था, जो इस रोक से कुछ महीने पहले हुआ था.
रविवार शाम को भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका के राष्ट्रपति से मुलाकात की. सोमवार सुबह राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसानायके का औपचारिक स्वागत किया. इससे पहले, दिसानायके ने राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी.
श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने मछुआरों और मछली पकड़ने के अधिकारों के मुद्दे को भी जल्द हल करने की बात कही, जिसे उन्होंने दोनों देशों के बीच संबंधों के लिए एक “समस्या” करार दिया.
श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने मछुआरों के मुद्दे को जल्द और स्थायी समाधान तक पहुंचाने की जरूरत पर जोर दिया. उन्होंने इसे दोनों देशों के लिए “एक बड़ी समस्या” बताया. उन्होंने कहा, “हम मछुआरों के मुद्दे का एक स्थायी और टिकाऊ समाधान चाहते हैं. वहां बॉटम ट्रॉलिंग जैसी प्रेक्टिस अपनाई जा रही है, जिन्हें बंद करने की जरूरत है, क्योंकि यह उद्योग के लिए विनाशकारी साबित होगा. हमने प्रधानमंत्री [नरेंद्र मोदी] से ऐसी प्रथाओं को रोकने का अनुरोध किया जो उद्योग और लोगों के लिए हानिकारक हैं.”
2024 में, श्रीलंका ने 535 भारतीय मछुआरों को गिरफ्तार किया और 71 मछली पकड़ने वाली नौकाओं को जब्त किया, जो 2023 में 240 गिरफ्तारियों और 35 नावों की जब्ती से काफी अधिक है. भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा संसद में प्रस्तुत जानकारी के अनुसार, इस वर्ष अब तक श्रीलंका से 395 मछुआरों को रिहा कर भारत वापस भेजा गया है. वर्तमान में, श्रीलंका की हिरासत में करीब 140 भारतीय मछुआरे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने बयान में कहा, “हमने मछुआरों की आजीविका से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। हम इस मामले में मानवीय दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ने पर सहमत हुए.”
दिसानायके की यात्रा से पहले, चिदंबरम से भारतीय सांसद थोल तिरुमावलवन ने सीमा पार हिरासत में तमिल मछुआरों के मुद्दे को उठाया और बॉटम ट्रॉलिंग के समाधान की अपील की. यह इस मुद्दे के घरेलू पहलुओं को भी रेखांकित करता है.
रक्षा, ऊर्जा संबंधों पर चर्चा हुई
रक्षा, ऊर्जा, रिन्यूएबल एनर्जी, कनेक्टिविटी के मुद्दे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके की चर्चा में शामिल थे. प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और श्रीलंका के बीच “भौतिक, डिजिटल और ऊर्जा कनेक्टिविटी” को रिश्तों का अहम हिस्सा बताया.
उन्होंने कहा, “दोनों देशों के बीच बिजली ग्रिड कनेक्टिविटी और पेट्रोलियम पाइपलाइन बनाने पर काम होगा. सम्पूर सोलर पावर प्रोजेक्ट को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा और श्रीलंका के पावर प्लांट्स के लिए एलएनजी की आपूर्ति की जाएगी.”
मोदी ने यह भी कहा, “हम रक्षा सहयोग समझौते को जल्द ही अंतिम रूप देंगे और हाइड्रोग्राफी में सहयोग करेंगे. हम मानते हैं कि कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन क्षेत्रीय शांति और विकास के लिए अहम है.”
मोदी ने भौतिक कनेक्टिविटी के बारे में भी बताया कि दोनों देश रामनाथपुरम और तालाइमन्नार के बीच एक नई फेरी सेवा शुरू करने पर काम कर रहे हैं, जो नागपट्टिनम-कांकेसनथुरई फेरी सेवा के बाद दूसरी होगी.
प्रधानमंत्री मोदी ने श्रीलंका में तमिलों के अधिकारों का मुद्दा भी उठाया और कहा, “हमें उम्मीद है कि श्रीलंका सरकार तमिलों की उम्मीदों को पूरा करेगी और संविधान को पूरी तरह लागू करेगी.”
यह श्रीलंकाई संविधान के 13वें संशोधन से जुड़ा हुआ है, जिसे भारत ने समर्थन दिया था. इस संशोधन के तहत श्रीलंका में तमिलों को राजनीतिक स्वायत्तता मिलेगी, जो प्रांतीय परिषद और सत्ता के विकेंद्रीकरण से संभव होगा.
दिसानायके और उनकी पार्टी नेशनल पीपल्स पावर पहले 13वें संशोधन के खिलाफ रही है.
हाल के सालों में भारत श्रीलंका की आर्थिक मदद के लिए बहुत महत्वपूर्ण बना है. 2022 में भारत ने श्रीलंका को 4 अरब डॉलर का ऋण दिया था, जब श्रीलंका ने दिवालियापन की घोषणा की थी. भारत का यह ऋण कोलंबो को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के साथ समझौता करने में मददगार साबित हुआ.
दिसानायके ने भारत का धन्यवाद किया और उम्मीद जताई कि दोनों देशों के बीच तकनीकी सहयोग और गहरा होगा.
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