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Sunday, 23 February, 2025
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भारत ने श्रीलंका की अर्थव्यवस्था के लिए राजपक्षे के दौरे के बीच किया 1 अरब डॉलर की मदद का ऐलान

श्रीलंका को भारत की ताज़ा सहायता एक और संकेत है, कि नई दिल्ली और कोलंबो दोनों, हाल के वर्षों में आपसी रिश्तों के बीच आई हिचकियों से उबर रहे हैं.

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नई दिल्ली: श्रीलंका की डूबती हुई अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए, भारत ने 1 अरब डॉलर के एक और ऋण का ऐलान किया है. ये घोषणा द्वीप राष्ट्र के वित्त मंत्री (एफएम) बासिल राजपक्षे के नई दिल्ली के एक और दौरे के बीच हुई- जो चार महीनों में उनका दूसरा है.

बृहस्पतिवार को ट्विटर पर घोषणा करते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा: ‘एसबीआई और श्रीलंका सरकार के बीच 1 अरब डॉलर की ऋण व्यवस्था के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसका इस्तेमाल श्रीलंका के लिए खाद्य पदार्थों, दवाओं, और अन्य आवश्यक वस्तुओं की ख़रीद में किया जाएगा’.

ये क़दम उठाए जाने से पहले राजपक्षे ने नई दिल्ली में, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाक़ात की.

श्रीलंका को भारत की ताज़ा सहायता एक और संकेत है, कि नई दिल्ली और कोलंबो दोनों हाल के वर्षों में, आपसी रिश्तों के बीच आई हिचकियों से उबर रहे हैं.

श्रीलंकाई एफएम जो राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे, और प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के भाई हैं, नई दिल्ली से ऋण की व्यवस्था करने के लिए दो दिन के दौरे पर हैं, चूंकि द्वीप राष्ट्र भारी दबावों का सामना कर रही है.

श्रीलंकाई रुपए डॉलर के मुकाबले तेज़ी से गिर रहा है, और विदेशी कर्ज़ बढ़ता जा रहा है. पर्यटन में आई कमी से भी श्रीलंका सरकार की आय पर भारी असर पड़ा है, जिसके नतीजे में गैस और ईंधन की कमी पैदा हो गई है, और उसके परिणामस्वरूप भारी बिजली कटौती हो रही है.

सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि नई दिल्ली कोलंबो को एक वित्तीय पैकेज उपलब्ध करा रही है, ताकि अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने के लिए, वो अपनी कुछ ज़्यादा तात्कालिक ज़रूरतों को पूरा कर सके. सूत्रों ने कहा कि कोलंबो को 1 अरब डॉलर की ऋण व्यवस्था से, उन्हें अपनी खाद्य क़ीमतों और ईंधन की लागत को, नियंत्रित रखने में सहायता मिलेगी.

भारत का निरंतर समर्थन

बुधवार को राजपक्षे ने पीएम मोदी से मुलाक़ात की, और उसी दिन विदेश मंत्रालय (एमईए) की ओर से जारी बयान में कहा गया कि उन्होंने पीएम को ‘दोनों देशों द्वारा की जा रहीं पहलक़दमियों से अवगत कराया, जिनका मक़सद द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग को बढ़ाना है, और श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था के लिए भारत द्वारा दी गई सहायता के लिए उनका धन्यवाद प्रकट किया’.

बुधवार को ही श्रीलंका सरकार की ओर से जारी एक बयान में आगे कहा गया: ‘प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मंत्री को आश्वासन दिया, कि भारत हमेशा श्रीलंका के साथ खड़ा होगा, जो उसका क़रीबी मित्र है’.

श्रीलंकाई बयान में आगे कहा गया, कि पीएम मोदी ने उनके सामने प्राकृतिक खेती के फायदों, और उससे संबंधित तकनीकों तथा उत्पादों में, भारत के अनुभव पर प्रकाश डाला, जिसमें नैनो-फर्टिलाइज़र्स भी शामिल हैं.

फरवरी में, नई दिल्ली ने पेट्रोलियम पदार्थों की ख़रीद के लिए, ऊर्जा मंत्रालय और श्रीलंका सरकार की ओर से सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के ज़रिए, कोलंबो को 50 करोड़ डॉलर का एक अल्प-कालिक क़र्ज़ उपलब्ध कराया था.

उससे तीन महीने पहले, नवंबर 2021 में, भारत ने श्रीलंका को 100 टन नैनो तरल फर्टिलाइज़र्स दिए थे, चूंकि उनकी सरकार ने रसायनिक ऊर्वरकों का आयात बंद कर दिया था.

श्रीलंका सरकार खाद्य पदार्थों की भारी क़िल्लत का सामना कर रही है, क्योंकि राजपक्षे सरकार ने केवल जैविक खाद्य उत्पादन करने का निर्णय किया है, जिसके नतीजे में सिंथेटिक या केमिकल फर्टिलाइज़र्स के इस्तेमाल पर पाबंदी लगा दी गई है.

बासिल राजपक्षे, जो आख़िरी बार दिसंबर 2021 में भारत दौरे पर आए थे, तेज़ी के साथ भारत और श्रीलंका के बीच एक संपर्क बिंदु के तौर पर उभर रहे हैं, हालांकि राजपक्षे सरकार को एक बार फिर चीन की ओर झुकते हुए देखा जा रहा है.

मौजूदा दौरे पर, उन्होंने विदेश मंत्री एस जयशंकर, और विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला से भी मुलाक़ात की.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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