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शुक्रवार, 6 जून, 2025
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पाकिस्तान के लिए जासूसी: अदालत ने ठाणे के इंजीनियर की पुलिस हिरासत पांच जून तक बढ़ाई

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मुंबई, 2 जून (भाषा) महाराष्ट्र के ठाणे की एक अदालत ने कथित जासूसी और युद्धपोतों तथा पनडुब्बियों के बारे में संवेदनशील जानकारी पाकिस्तान को साझा करने के आरोप में गिरफ्तार मेकैनिकल इंजीनियर रवींद्र वर्मा की पुलिस हिरासत सोमवार को पांच जून तक बढ़ा दी।

अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि उसके सहकर्मियों से पूछताछ की जरूरत है।

रक्षा प्रौद्योगिकी फर्म में काम करने वाले 27-वर्षीय कनिष्ठ अभियंता को पिछले सप्ताह आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने गिरफ्तार किया था। वह पड़ोसी जिले ठाणे के कलवा का निवासी है।

वर्मा की हिरासत अवधि समाप्त होने पर सोमवार को ठाणे की एक अदालत में पेश किया गया।

पुलिस ने वर्मा की हिरासत अवधि बढ़ाने का अनुरोध करते हुए अदालत को बताया कि वर्मा के कार्यस्थल पर जांच करने और उसके सहकर्मियों से पूछताछ करने की जरूरत है।

पुलिस के अनुसार, फेसबुक पर महिला के रूप में खुद को पेश करने वाले एक पाकिस्तानी एजेंट ने वर्मा को मोहपाश में फंसाकर कथित तौर पर गोपनीय जानकारी हासिल की थी।

पुलिस ने कहा था कि वर्मा ने रेखाचित्र (स्केच), डायग्राम और ऑडियो नोट के माध्यम से युद्धपोतों और पनडुब्बियों के बारे में संवेदनशील जानकारी पाकिस्तानी खुफिया एजेंट को दी और बदले में भारत एवं विदेश में विभिन्न बैंक खातों के माध्यम से पैसे प्राप्त किए।

बचाव पक्ष के वकील राजहंस गिरासे ने सोमवार को दलील दी कि वर्मा को फंसाया गया है और पुलिस के पास उनके मुवक्किल के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं।

उन्होंने दावा किया कि वर्मा की गिरफ्तारी अवैध थी, क्योंकि एटीएस ने कानूनी दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया।

वकील ने कहा कि अदालत ने कोई ठोस सबूत नहीं देखा है और उनके मुवक्किल के पास से बरामद नीली डायरी में केवल काम से संबंधित नोट्स हैं।

आरोपी के बैंक खाते में बड़े लेनदेन के बारे में बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि उसकी भतीजी के खर्च के लिए प्रीति नाम की लड़की ने 2,000 रुपये भेजे थे।

पुलिस हिरासत बढ़ाने के खिलाफ दलील देते हुए उन्होंने कहा कि वर्मा से पहले ही दस्तावेज बरामद किए जा चुके हैं।

वर्मा एक रक्षा प्रौद्योगिकी फर्म में कनिष्ठ अभियंता के रूप में काम करता था और अपने काम के कारण उसे दक्षिण मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड तक पहुंच प्राप्त थी।

एटीएस ने कहा था कि वह नौसेना के जहाजों और पनडुब्बियों पर भी जाता था।

एटीएस को संदेह है कि उसने पाकिस्तानी एजेंट के साथ पनडुब्बियों और युद्धपोतों के नाम भी साझा किए थे।

भाषा सुरेश दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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