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Friday, 1 November, 2024
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ओडिशा के सोनू सूद–अभिनेता सब्यसाची मिश्रा ने प्रवासियों की राह आसान बनाई

ओडिया अभिनेता लोगों की मदद के लिए बस और ट्रेन यात्रा की व्यवस्था से लेकर चिकित्सकीय राहत तक पहुंचाने में जुटे, कोविड के बीच सोशल मीडिया के जरिये मदद कर रहे.

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भुवनेश्वर : एक फिल्म स्टार प्रवासी श्रमिकों को सहायता देने, परिवहन की व्यवस्था करने, अस्पताल में भर्ती कराने, राशन और वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने और कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान एक जनआंदोलन का नेतृत्व करने में जुटा है? यह सब सुनने में सोनू सूद के संदर्भ में लग लग सकता है, लेकिन ओडिया स्टार सब्यसाची मिश्रा ने ओडिशा में इसी तरह का अभियान चला रखा है.

इंजीनियर से अभिनेता बने मिश्रा ने पिछले तीन महीनों के दौरान राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, गुजरात और केरल जैसे राज्यों से लगभग 35 बसों और तमाम विशेष ट्रेनों के जरिये सैकड़ों ओडिया लोगों की वापसी की व्यवस्था की.

पिछले सप्ताह उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) से लगभग पूरी तरह भरी चार्टर्ड उड़ान की व्यवस्था की. यह विमान बलराम प्रधान का शव भी लेकर आया, जिसकी दो सप्ताह पहले दुबई में मौत हो गई थी. उनके शोकाकुल परिवार ने मृतक के शव घर लाने के लिए मिश्रा की मदद मांगी थी.

लेकिन लोगों को अभिनेता की तरफ से मिल रही मदद परिवहन तक सीमित नहीं है. उन्होंने लोगों को अस्पताल में भर्ती कराकर इलाज की सुविधा भी दिलाई, इसी से उनके अभियान की शुरुआत हुई थी, और लॉकडाउन के शुरुआती चरणों में दूसरे राज्यों में फंस गए प्रवासियों और अन्य लोगों को वित्तीय सहायता दी.

मिश्रा ने यह सब अपने एक अनजाने से ट्रस्ट, स्माइल प्लीज के माध्यम से किया, जो एक साल पहले ही अभिनय की दुनिया में करियर बनाने के इच्छुक निशक्त युवाओं को एक मंच उपलब्ध कराने के लिए उद्देश्य से बनाया गया था.


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‘यह बस हो गया’

अपने अभियान के लिए उठाए कदमों के बारे में कुरेदें तो मिश्रा के पास यही जवाब है, ‘यह सब बस हो गया.’

अभियान की शुरुआत उन अनुरोधों के साथ हुई जो लोगों ने उन्हें सोशल मीडिया पर तब भेजे जब भारत में 25 मार्च से एक सख्त लॉकडाउन लागू किया गया, जो ढील दिए जाने से पहले विभिन्न चरणों में मई तक सख्ती से लागू रहा.

मिश्रा मानते हैं कि शुरू में उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि मदद कैसे की जाए. लाखों लोगों की तरह वह भी लॉकडाउन को अपनाने की कोशिश कर रहे थे और उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि अकेले पड़ गए लोगों की किस तरह मदद करनी चाहिए. लेकिन वह अन्य लोगों की तरह उदासीन नजर नहीं आना चाहते हैं.

34वर्षीय अभिनेता ने कहा, ‘मेरी अंतरात्मा ने कहा कि बस मैदान में उतर पड़ो और देखो कि क्या कर सकते हो.’

सबसे पहले, उन्होंने मेडिकल हेल्प के लिए आ रहे कुछ अनुरोधों पर ओडिशा के कोविड नियंत्रण कक्ष के प्रभारी कुछ वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और कुछ निजी अस्पतालों से मदद मांगी. जैसे-जैसे इन प्रयासों के नतीजे सामने आने लगे देश के दूसरे हिस्सों में फंसे प्रवासियों ने भी उनसे मदद मांगनी शुरू कर दी.

उन्होंने कहा, ‘प्रवासी श्रमिकों का मुद्दा वास्तव में एक बड़ी चुनौती था और यहीं पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई. उन्होंने सारी प्रक्रिया पर मेरा मार्गदर्शन करने के अलावा विभिन्न राज्यों में अपने समकक्षों के साथ समन्वय स्थापित किया और अपने घर से दूर दूसरी जगहों पर फंसे लोगों के आवागमन की अनुमति की भी व्यवस्था की.’

Actor Sabyasachi Mishra in Odisha during the lockdown. | Photo: Special arrangement

वालंटियर और दान की व्यवस्था

कुछ ही महीनों में उनका अभियान बड़ा होता गया. उन्हें कई वालंटियर्स का भी सहयोग भी मिला जिसमें ज्यादातर 30 से अधिक ओडिया, तेलुगु और बंगाली फिल्मों में काम करने वाले अभिनेता के प्रशंसक थे.

उन्होंने कहा, ‘कौन कहता है कि अपने अभियान में मैं अकेला हूं? तमाम लोग मेरे साथ जुड़े हैं.’

मिश्रा कहते हैं कि अब तक, आर्थिक व्यवस्था कोई मुद्दा नहीं रहा है, लेकिन मानते हैं कि वह अपनी बचत का एक बड़ा हिस्सा खर्च कर चुके हैं.

उनके मित्र और शुभचिंतक दान के कुछ प्रस्ताव लेकर आगे आए. मिश्रा शुरू में यह कहते हुए अंशदान स्वीकारने से हिचक रहे थे कि दान लेने की कोई भी मुहिम इस अभियान के ‘व्यापक उद्देश्यों को पटरी से उतार देगी.’ लेकिन अब उनका रुख थोड़ा बदला है. चंदे की सारी रकम को ट्रस्ट के माध्यम से चैनलाइज किया जाता है.


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‘सकारात्मकता का भंडार’

मिश्रा के सोशल मीडिया इनबॉक्स में आभार जताने वाले संदेशों की भरमार है.

अभिनेता ने 2014 में की गई अपनी उस फिल्म के नाम पर अपना ट्रस्ट शुरू किया था, जिसमें उनका चरित्र लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला देता था. उन्होंने कहा कि उनका व्यक्तित्व इसी तरह का है.

उन्होंने कहा, ‘मेरे पास सकारात्मकता का भंडार है और हमेशा एक अच्छे इंसान के रूप में याद किया जाना चाहता हूं.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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