नई दिल्ली: जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के चार दिन बाद उनकी पत्नी गीतांजलि अंग्मो लद्दाख से दिल्ली पहुंचीं. उन्होंने कहा कि उनके पास “यहां आकर अपनी आवाज़ उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था.”
गीतांजलि ने दिप्रिंट से कहा, “लेह में हमारी निगरानी की जा रही थी. मुझे मीडिया से बात करने या अपनी बात रखने की इजाज़त नहीं दी गई.” वांगचुक द्वारा स्थापित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स में सीआरपीएफ के जवान तैनात कर दिए गए हैं, जिससे बाहरी लोगों को अंदर आने से रोका जा रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया, “यहां तक कि मैं कहां जा रही हूं, उस पर भी निगरानी रखी जा रही है.”
उन्होंने कहा, “ऐसा लग रहा था जैसे मुझे नज़रबंद कर दिया गया हो.”
गीतांजलि ने बताया कि अब वे दिल्ली में वरिष्ठ वकीलों से मिलकर अपने पति का केस लड़ने की योजना बना रही हैं, लेकिन बार-बार कोशिश करने के बावजूद वह गिरफ्तारी के बाद से अब तक सोनम से बात नहीं कर पाई हैं.
उन्होंने कहा, “मुझे सिर्फ इतना पता है कि वह जोधपुर सेंट्रल जेल में हैं. पुलिस ने आश्वासन दिया था कि मुझे उनसे बात करने दी जाएगी, लेकिन संबंधित अफसर को किए गए मेरे फोन कॉल का कोई जवाब नहीं मिला.”
नवरात्र का व्रत रख रही गीतांजलि, जो हिंदू धर्म का पालन करती हैं, उन्होंने अपने पति की सेहत को लेकर गहरी चिंता जताई. उन्होंने कहा, “सोनम 15 दिन के उपवास पर थे और पहले से ही कमज़ोर थे. मैं बस उनकी आवाज़ एक बार सुनना चाहती हूं और जानना चाहती हूं कि वह ठीक हैं.”
गीतांजलि ने कहा कि सरकार सोनम को भारत चुनने के लिए सज़ा दे रही है. उन्होंने कहा, “वह चाहें तो सिलिकॉन वैली या कहीं और जा सकते थे, लेकिन उन्होंने लद्दाख में रहना चुना. उनका निस्वार्थ भाव वहीं साबित हो जाता है.”
शुक्रवार को सोनम वांगचुक को सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत एहतियातन हिरासत में लेकर जोधपुर जेल भेजा गया. यह कदम उस घटना के दो दिन बाद उठाया गया, जब लेह में भीड़ ने हिंसा की और सरकारी इमारतों व पुलिस-सुरक्षा बलों पर हमला किया. इसके बाद हुई पुलिस फायरिंग में चार नागरिकों की मौत हो गई.
यह भीड़ उन प्रदर्शनकारियों का हिस्सा थी जो एनडीएस मैदान में इकट्ठा हुए थे, जहां वांगचुक 10 सितंबर से लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की सुरक्षा दिलाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे थे.
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