नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को सवाल किया कि क्या मणिपुर में हुई जातीय हिंसा में सीमा पार के उग्रवादी शामिल थे.
नागपुर में आरएसएस की दशहरा रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, “मेतैई और कुकी समुदाय के लोग कई वर्षों से साथ रहते आ रहे हैं. अचानक उनके बीच हिंसा कैसे भड़क गई? संघर्ष से बाहरी ताकतों को फायदा होता है. क्या बाहरी कारक शामिल हैं?”
उन्होंने कहा, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तीन दिन तक वहां (मणिपुर में) थे. वास्तव में संघर्ष को किसने बढ़ावा दिया? यह (हिंसा) हो नहीं रही है, इसे कराया जा रहा है.”
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि उन्हें संघ के उन कार्यकर्ताओं पर गर्व है, जिन्होंने मणिपुर में शांति बहाल करने की दिशा में काम किया. भागवत ने कहा कि कुछ असामाजिक तत्व खुद को सांस्कृतिक मार्क्सवादी या जाग्रत कहते हैं, लेकिन वे मार्क्स को भूल गए हैं.
उन्होंने लोगों को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भावनाएं भड़काकर वोट हासिल करने की कोशिशों के प्रति आगाह किया. आरएसएस प्रमुख ने लोगों से देश की एकता, अखंडता, पहचान और विकास को ध्यान में रखते हुए मतदान करने का आह्वान किया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को महाराष्ट्र के नागपुर में ‘विजयादशमी उत्सव’ में एक सभा को संबोधित करते हुए भारत के जी20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन पर जोर दिया और कहा कि भारत के नेतृत्व ने देश को दुनिया में जगह दिलाई.
आरएसएस प्रमुख ने उन लोगों की भी आलोचना कि जो भारत के आगे बढ़ने के रास्ते में खड़े हैं.
आरएसएस प्रमुख ने कहा, “दुनिया में और भारत में भी कुछ लोग हैं जो नहीं चाहते कि भारत आगे बढ़े… वे समाज में गुट और झगड़े पैदा करने की कोशिश करते हैं. हमारी अज्ञानता और विश्वास की कमी के कारण, हम भी कभी-कभी ऐसा करते हैं. इसमें उलझे रहते हैं और अनावश्यक उपद्रव पैदा होता हैं…अगर भारत आगे बढ़ता है, तो वे अपना खेल नहीं खेल पाएंगे इसलिए, वे लगातार विरोध करते हैं. वे सिर्फ विरोध के लिए विशेष विचारधारा अपनाते हैं.”
मणिपुर में हुई हिंसा पर बोलते हुए आरएसएस प्रमुख ने नागरिक समाज से आपसी अविश्वास की खाई को पाटने का आह्वान किया.
उन्होंने कहा कि “मणिपुर में, जब संघर्ष के दोनों पक्षों के लोग शांति की मांग कर रहे हैं, तो ये कौन सी ताकतें हैं जो उस दिशा में कोई सकारात्मक कदम उठाते ही एक घटना को अंजाम देकर नफरत और हिंसा भड़काने का प्रयास कर रही हैं? इस गंभीर समस्या को हल करने की आवश्यकता है. इस जटिल समस्या को हल करने के लिए हमें मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति, समवर्ती कार्रवाई और दक्षता की आवश्यकता होगी. साथ ही, समाज के प्रबुद्ध नेतृत्व को आपसी अविश्वास की खाई को पाटने में भी विशेष भूमिका निभानी होगी.”
मोहन भागवत ने अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन को लेकर भी बात की और कहा कि अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बन रहा है, 22 जनवरी को मंदिर में भगवान राम (मूर्ति) की स्थापना की जाएगी…उस दिन हम पूरे देश में अपने-अपने मंदिरों में कार्यक्रम आयोजित कर सकते हैं.”
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देश की संस्कृति और परंपरा की रक्षा में योगदान
नागपुर में आरएसएस के कार्यक्रम में गायक-संगीतकार शंकर महादेवन भी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे.
इस अवसर पर बोलते हुए, शंकर महादेवन ने देश की संस्कृति और परंपरा की रक्षा में योगदान के लिए आरएसएस सदस्यों की प्रशंसा की.
उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि आने वाली पीढ़ियों को संगीत और गीतों के माध्यम से हमारी संस्कृति को शिक्षित और प्रसारित करना मेरा कर्तव्य है. मैं इसे युवाओं और बच्चों के साथ बातचीत और अपने शो, रियलिटी शो और यहां तक कि फिल्मी गीतों में भी करने की कोशिश करता हूं.”
उन्होंने आगे कहा, “आज का मेरा अनुभव अद्भुत रहा है. हमारी संस्कृति और परंपरा की रक्षा में आप सभी का योगदान अद्वितीय है.”
शंकर महादेवन ने विजयादशमी के अवसर पर सभी को शुभकामनाएं दीं और उन्होंने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करने के लिए मोहन भागवत को भी धन्यवाद दिया.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का वार्षिक ‘विजयदशमी उत्सव’ कार्यक्रम आज महाराष्ट्र के नागपुर में कार्यकर्ताओं के ‘पथ संचलन’ (रूट मार्च) के साथ शुरू हुआ.
इस मौके पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने संगठन के संस्थापक केबी हेडगेवार को श्रद्धांजलि दी. शंकर महादेवन को भी केबी हेडगेवार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते देखा गया.
इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस भी मौजूद थे.
आरएसएस की स्थापना 1925 में विजयादशमी के दिन नागपुर में हुई थी. तब से, आरएसएस हर साल विजयादशमी उत्सव मनाता है. इस अवसर की शोभा बढ़ाने के लिए हर साल उत्सव में विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य व्यक्तियों को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया जाता है.
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