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रविवार, 8 जून, 2025
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बिल्कीस मामले के कुछ दोषी ‘अच्छे संस्कारों वाले ब्राह्मण’ हैं: भाजपा विधायक

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अहमदाबाद, 19 अगस्त (भाषा) बिल्कीस बानो मामले में 11 दोषियों की सजा माफ करने वाली सरकारी समिति का हिस्सा रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक विधायक ने कहा है कि 2002 के गुजरात दंगों के इस मामले में दोषी कुछ लोग “अच्छे संस्कारों वाले ब्राह्मण” हैं, और यह संभव है कि उनके परिवार की अतीत की गतिविधियों के चलते उन्हें फंसाया गया होगा।

हालांकि, एक समाचार पोर्टल के साथ साक्षात्कार में कैमरे पर इस तरह का दावा करने के एक दिन बाद गोधरा के विधायक सी. के. राउलजी ने कहा कि उनका मानना है कि बलात्कारियों की कोई जाति नहीं होती और दोषियों को सजा मिलनी चाहिए।

राउलजी ने शुक्रवार को ट्वीट किया, ‘‘बलात्कारियों की कोई जाति नहीं होती और मैंने ऐसी कोई (गलत) बात नहीं की है। मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। यदि कोई दोषी है तो उसे उसकी सजा मिलनी चाहिए। हमें अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए।’’

उनका यह ट्वीट बिल्कीस बानो मामले में उनकी जातिगत टिप्पणी को लेकर उत्पन्न विवाद के बाद आया है।

उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा था कि उन्हें नहीं पता कि 15 साल से ज्यादा समय बाद जेल से रिहा किये गए दोषी अपराध में शामिल थे या नहीं। बिल्कीस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए सभी 11 दोषियों को 15 अगस्त को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था।

गुजरात सरकार की सजा माफी योजना के तहत उन्हें रिहा किया गया था। राउलजी ने एक समाचार पोर्टल से कहा, “हमने उच्चतम न्यायालय के आदेश के आधार पर निर्णय लिया था। हमें दोषियों के आचरण को देखना था और उन्हें समय से पहले रिहा करने पर निर्णय लेना था।”

उन्होंने कहा, “हमने जेलर से पूछा और पता चला कि जेल में उनका आचरण अच्छा था।… इसके अलावा कुछ दोषी ब्राह्मण हैं। उनके संस्कार अच्छे हैं।” राउलजी ने कहा कि हो सकता है, दोषियों को फंसाया गया हो।

उन्होंने कहा, “संभव है कि उनके परिवार के अतीत में किये गए कामों के कारण उन्हें फंसाया गया हो। जब ऐसे दंगे होते हैं तो ऐसा होता है कि जो शामिल नहीं होते उनका नाम आता है। लेकिन मुझे नहीं पता कि उन्होंने अपराध किया था या नहीं। हमने उनके आचरण के आधार पर सजा माफ की।”

जेल से रिहा हुए उन 11 लोगों के स्वागत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने उन लोगों का स्वागत नहीं किया।

शीर्ष अदालत द्वारा राज्य की 1992 की छूट नीति के तहत राहत के लिए उनकी याचिका पर विचार करने के निर्देश के बाद गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को रिहा कर दिया।

मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी, 2008 को बिल्कीस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या और उसके सामूहिक बलात्कार के मामले में सभी 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में बम्बई उच्च न्यायालय ने उनकी सजा को बरकरार रखा। इन दोषियों ने 15 साल से अधिक समय तक जेल की सजा काटी, जिसके बाद उनमें से एक ने अपनी समय-पूर्व रिहाई के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

भाषा सुरेश मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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