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मोढेरा (गुजरात), 20 अक्टूबर (भाषा) संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत के, सौर ऊर्जा से संचालित पहले गांव मोढेरा के लोग ‘मानव जाति और ग्रह के बीच सामंजस्य’ की मिसाल कायम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि गुजरात के मेहसाणा जिले के गांव में जहां सदियों पुराना सूर्य मंदिर है, वहीं अब वहां एक नए तरह का सूर्य मंदिर बन गया है। बुधवार से भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर आए गुतारेस ने 11वीं सदी के सूर्य मंदिर वाले गांव का दौरा किया और यहां के 1,300 परिवारों में से कुछ से बातचीत की, जिन्होंने अपने घरों में सौर बिजली उत्पादन पैनल स्थापित किए हैं।
संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि मोढेरा के निवासी पृथ्वी को बचाने की लड़ाई में ‘‘पहली पंक्ति के सैनिक’’ हैं। उन्होंने कहा, ‘‘यह शानदार है और (इसके लिए) हमें इस गांव के इन लोगों और गुजरात सरकार तथा भारत सरकार को बहुत भावनात्मक तरीके से धन्यवाद देना चाहिए कि यहां मानव जाति और ग्रह के बीच सामंजस्य है।’’
गुतारेस ने कहा, ‘‘यहां जहां एक हजार साल पहले सूर्य का मंदिर बनाया गया था, वहीं सूर्य का एक नया मंदिर सौर ऊर्जा पर आधारित है।’’ उन्होंने कहा कि सौर ऊर्जा स्थानीय लोगों के जीवन को बदल रही है, उन्हें अधिक स्वस्थ बना रही, उन्हें अधिक समृद्धि दे रही है और साथ ही ‘हमारे ग्रह को जलवायु परिवर्तन से बचाने में योगदान दे रही है जो अभी भी नियंत्रण से बाहर है।’ संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि इन ग्रामीणों के पूर्वजों ने जान लिया था कि सूर्य सभी ऊर्जा का स्रोत है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन एक हजार साल बाद हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां हम कोयले, गैस और तेल से पैदा ऊर्जा का उपयोग करते हैं और कोयले के जलने से सूर्य ‘‘क्रोधित’’ हो जाता है जो ग्रह को गर्म करता है और बाढ़ का कारण बनता है। ’’
पुर्तगाल में पैदा हुए गुतारेस (73) ने कहा, ‘‘जब मैं छोटा था, वहां कुछ महीनों के लिए बारिश हुआ करती थी। अब दुनिया के कई हिस्सों में बारिश नहीं होती है, सूखा होता है और फिर तूफान और बाढ़…कोई सामान्य बारिश नहीं होती है।’’
कोयले से सौर ऊर्जा की ओर रुख करने वाली गांव की एक महिला का जिक्र करते हुए गुतारेस ने कहा कि वह ‘‘सूर्य के साथ शांति और प्रकृति के साथ शांति कायम कर रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि भारत सौर ऊर्जा उत्पादन में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘एक हजार साल पहले लोगों ने माना कि सूर्य हमारी ऊर्जा का मूल है, एक हजार साल बाद आप सूर्य को फिर से सभी ऊर्जा का मूल बना रहे हैं।’’
भाषा आशीष मनीषा
मनीषा
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