इंफाल, 31 मार्च (भाषा) ‘‘मणिपुर के छह जिलों के 15 थानाक्षेत्रों को अशांत क्षेत्र अधिसूचना से बाहर करने के’’ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के ऐलान का बृहस्पतिवार को आफस्पा के विरूद्ध आंदोलन चलाने वाले प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सावधानीपूर्वक स्वागत किया और साथ ही इस ‘कठोर कानून’ को पूरी तरह नहीं हटाए जाने को लेकर असंतोष जताया।
इंफाल टाइम्स के संपादक और सामाजिक कार्यकर्ता रिंकू खुमुकचाम ने नये घटनाक्रम का स्वागत किया लेकिन कहा, ‘‘ अमानवीय कानून आफस्पा को पूरी तरह वापस लेने या उसे और मानवीय बनाने के लिए उसमें सुधार के वास्ते आदोलन अब भी अपनी जगह कायम है।’’
उन्होंने कहा कि भादंसं एवं अपराध दंड प्रक्रिया संहिता के प्रावधान मणिपुर में उग्रवाद से निपटने के लिए पर्याप्त हैं। उन्होंने भारत के नक्सल प्रभावित क्षेत्र का हवाला दिया जहां आफस्पा नहीं लगाया गया है लेकिन सैन्य एवं सुरक्षाबलों का अभियान चल रहा है।
ह्यूमन राइट्स के निदेशक अलर्ट बबलू लोइटोंगबाम ने भी कहा, ‘‘ हम इसका स्वागत करते हैं। यह सही दिशा में उठाया गया कदम है लेकिन आफस्पा हटाने को लेकर हमारा आंदोलन जारी रहेगा।’’
फ्रंटियर मणिपुर के कार्यकारी संपादक पाओजेल ने कहा, ‘‘ हम भी इसका स्वागत करते हैं क्योंकि पहले से ही इसकी मांग थी। लेकिन राज्य द्वारा आफस्पा हटाया जाना चाहिए।’’
पाओजेल को न्यूज वेबपोर्टल में प्रकाशित एक आलेख को लेकर 2021 में अवैध गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत हिरासत में लिया गया था लेकिन बाद में उन्हें छोड़ दिया गया।
उन्होंने कहा कि महज 15 थानाक्षेत्रों से इस कानून को वापस लेने के बजाय बेहतर होता यदि ‘मणिपुर के पूरे घाटी क्षेत्र से इसे वापस ले लिया जाता।’’
मणिपुर में आफस्पा के विरूद्ध लोगों के विरोध का लंबा इतिहास रहा है। आफस्पा सुरक्षा बलों को अभियान चलाने और बिना वारंट के किसी को भी गिरफ्तार करने की शक्ति प्रदान करता है और अगर सुरक्षा बलों की गोली से किसी की मौत हो जाए तो भी यह उन्हें गिरफ्तारी और अभियोजन से संरक्षण प्रदान करता है।
भाषा
राजकुमार पवनेश
पवनेश
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