चंडीगढ़: हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि भड़काऊ सोशल मीडिया पोस्ट को सांप्रदायिक हिंसा भड़काने के बहाने के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि सोमवार की नूंह झड़प के पीछे दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
मेव मुस्लिम (या मेवाती मुस्लिम) समुदाय के नेताओं ने आरोप लगाया है कि कथित गोरक्षकों मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी के वीडियो के कारण हिंदुत्व संगठनों विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) और मातृ शक्ति दुर्गा वाहिनी द्वारा सोमवार को आयोजित एक धार्मिक जुलूस – ब्रज मंडल यात्रा – में हिंसा हुई. इस झड़प में छह लोगों की मौत हो गई, 60 से अधिक घायल हो गए और संपत्ति का नुकसान हुआ.
पुलिस ने बुधवार को कहा कि मोनू की कथित भूमिका की जांच की जाएगी, जबकि बजरंगी पर मामला दर्ज किया गया है.
हालांकि, दिप्रिंट से बात करते हुए, मोनू ने अपनी संलिप्तता से इनकार किया, जबकि बजरंगी ने कहा कि उसे अपने खिलाफ एफआईआर के बारे में जानकारी नहीं थी.
जब दिप्रिंट ने बुधवार को विज से संपर्क किया, तो उन्होंने कहा, “मोनू मानेसर एक अपराधी है जिसकी हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान में भी पुलिस को तलाश है. पुलिस उसके खिलाफ एफआईआर (पहले के मामले में) के लिए उसे देर-सबेर गिरफ्तार कर लेगी.”
मोनू, जो अभी भी फरार है, पर फरवरी में राजस्थान के दो मुस्लिम व्यक्तियों की हत्या में उसकी कथित भूमिका के लिए मामला दर्ज किया गया है.
बिट्टू बजरंगी पर विज ने कहा, ”मैंने उसका वीडियो नहीं देखा है, लेकिन पुलिस सभी सोशल मीडिया पोस्ट को स्कैन कर रही है और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर रही है. मैंने सोशल मीडिया पर मोनू मानेसर का वीडियो देखा लेकिन उसमें लोगों से 31 जुलाई को नूंह में ब्रज मंडल यात्रा में शामिल होने की अपील के अलावा कुछ भी नहीं था.”
विज ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा, “क्या किसी अपराधी द्वारा पोस्ट किया गया वीडियो लोगों को धार्मिक जुलूस और पुलिसकर्मियों पर हमला करने का अधिकार देता है?”.
बुधवार को गुरुग्राम में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, हरियाणा के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) पी.के. अग्रवाल ने कहा कि नूंह घटना में मोनू की भूमिका जांच का विषय है. उन्होंने कहा कि घटना में अब तक 41 एफआईआर दर्ज की गई हैं, 116 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 90 अन्य को हिरासत में लिया गया है.
डीजीपी ने कहा, “हम (गिरफ्तार किए गए लोगों की) पुलिस रिमांड की मांग करेंगे और उनसे पूछताछ कर घटना में शामिल अन्य लोगों के बारे में जानकारी जुटाएंगे.”
इस बीच, नूंह के एसपी वरुण सिंगला ने अपनी छुट्टी के बाद बुधवार को ड्यूटी फिर से शुरू कर दी.
सिंगला की अनुपस्थिति में नूंह के एसपी के रूप में कार्य कर रहे भिवानी के एसपी नरेंद्र सिंह बिजारणिया ने दिप्रिंट को बताया कि गिरफ्तार किए गए युवक नूंह के साथ-साथ राजस्थान के भी थे.
उन्होंने कहा, “प्रारंभिक पूछताछ से पता चला है कि मोनू मानेसर और बिट्टू बजरंगी के वीडियो के बाद, इन युवाओं ने ब्रज मंडल यात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए व्हाट्सएप के माध्यम से लोगों को संगठित करने से पहले छोटे समूहों की बैठकें कीं. जांच पूरी होने पर और भी बातें पता चल जाएंगी. ”
मानेसर और बजरंगी के खिलाफ उनके वीडियो के लिए संभावित कार्रवाई के बारे में पूछे जाने पर, बिजारणिया ने कहा कि बजरंगी के खिलाफ उनके गृहनगर फरीदाबाद में पहले ही एक प्राथमिकी दर्ज की जा चुकी है.
उन्होंने कहा, “जब भी शिकायत मिलती है पुलिस एफआईआर दर्ज कर रही है.”
मोनू यात्रा में मौजूद नहीं था, जबकि बजरंगी शुरुआती हिंसा के बाद नलहर महादेव मंदिर में फंसे 3,000 लोगों में से एक था.
यह भी पढ़ें: गुरुग्राम मस्जिद पर आधी रात को हुए हमले और इमाम की हत्या के मामले में 4 गिरफ्तार, छापेमारी जारी
‘जिम्मेदार नहीं’
मोनू ने कहा है कि नूंह घटना में उसकी कोई भूमिका नहीं थी और झड़प के समय वह गुरुग्राम के एक होटल में था. जब दिप्रिंट ने बुधवार को उनसे फोन पर संपर्क किया, तो उन्होंने कहा, “आप मेरा वीडियो देखें और आप पाएंगे कि मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा जिससे हिंसा भड़के. मैंने अभी लोगों को बड़ी संख्या में ब्रज मंडल यात्रा में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है. मैंने कभी भी ऐसा कोई शब्द नहीं कहा जो राज्य के सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाता हो.”
उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम समुदाय के ‘निहित स्वार्थों’ के कारण उनका नाम इस मामले में घसीटा जा रहा है, जिन्होंने पुलिस को समय पर सुझाव देने में उनकी सतर्कता के कारण गाय तस्करी के व्यापार और साइबर अपराधों में हार का सामना करना पड़ा है.
बिना किसी का नाम बताए उन्होंने कहा, ”मुझे जिले के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यात्रा पर आने से बचने के लिए कहा था.”
पुलिस कमिश्नरेट के जनसंपर्क अधिकारी सूबे सिंह कौशिक ने पुष्टि की कि बजरंगी पर सोमवार को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 295ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था. अपनी ओर से, बजरंगी ने दावा किया है कि उसे एफआईआर के बारे में जानकारी नहीं थी.
बुधवार को दिप्रिंट द्वारा फोन पर संपर्क किए जाने पर उन्होंने कहा कि उन्होंने विवादास्पद वीडियो पोस्ट करके कुछ भी गलत नहीं किया है. उन्होंने कहा, “नूंह के कुछ युवाओं ने मुझे ब्रज मंडल यात्रा के लिए आने की चुनौती दी. मैंने जवाब में वीडियो जारी किया और कहा कि मैं निश्चित रूप से आऊंगा, और उन्हें चुनौती दी कि अगर वे मुझे रोक सकते हैं तो मुझे रोकें. ”
सोमवार को अपने बचाव के बारे में बोलते हुए, बजरंगी ने कहा, “अगर अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) ममता सिंह मंदिर में नहीं पहुंची होतीं, तो मैं अपनी कहानी बताने के लिए यहां नहीं होता. हालांकि अतिरिक्त बल बाद में पहुंचे, लेकिन वह सिर्फ पांच कमांडो के साथ आईं, जबकि बदमाशों ने मंदिर को घेर लिया और पहाड़ी से गोलियां बरसाईं.
(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: ‘हिंदू अधिक पीड़ित हैं’ — नूंह हिंसा को लेकर VHP, बजरंग दल ने दिल्ली-NCR में किया विरोध प्रदर्शन